भविष्य में होने वाले दुःख को दृष्टि से ओझल कर वर्तमान सुख को खोजने वाले मनुष्य आयुष्य और यौवन के क्षीण होने पर परिताप करते हैं।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

PDF जैन पंचांग