जिसकी जैसी भावना होती है, वैसे ही कर्मों का बंध हो जाता है और परिणामस्वरूप वैसा ही फल भोगना पड़ता है।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

रचनाएं

साँसों का इकतारा

साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा

29 Nov - 05 Dec 2021

साँसों का इकतारा

स्वाध्याय

संबोधि

आचार्य महाप्रज्ञ

29 Nov - 05 Dec 2021

संबोधि

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

29 Nov - 05 Dec 2021

अवबोध

स्वाध्याय

उपासना

आचार्य वज्रस्वामी

29 Nov - 05 Dec 2021

उपासना
PDF जैन पंचांग