पर्युषण पर्व नहीं महापर्व है

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पर्युषण पर्व नहीं महापर्व है

रायपुर
तेरापंथ भवन में मुनि दीप कुमार जी के सान्‍निध्य में पर्युषण महापर्व का आयोजन हुआ। खाद्य संयम दिवस : पर्युषण पर्व कार्यक्रम में मुनिश्री दीप कुमार कहापर्युषण पर्व नहीं, महापर्व है। यह भाद्रव महीने में सामान्य त्योहारों की तरह आता है इसलिए पर्व है किंतु यह पूर्ण आत्मशुद्धि का प्रेरक है इसलिए यह महापर्व है। जैनों का एकमात्र विशिष्टतम पर्व है। पर्युषण की पृष्ठभूमि में मानवता, संयम और अनुशासन की प्रतिष्ठा का प्रसंग छिपा है।
मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि भोजन केवल पेट भरने के लिए नहीं मन की प्रसन्‍नता के लिए, स्वस्थ रहने के लिए, संयम साधना के लिए ही करना चाहिए। जयाचार्य पर गीत का संगान भी किया।
स्वाध्याय दिवस : पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में आयोजित हुआ। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि साधना में प्रगति का सरल मार्ग हैस्वाध्याय। स्वयं का अध्ययन का स्वाध्याय है। तप के बारह प्रकारों में स्वाध्याय को एक तप के रूप में मान्य किया गया है। मुनिश्री काव्यकुमार जी ने कहा कि स्वाध्याय वह दर्पण है, जिससे अपने रूप को देखकर उसे सँवारने की व्यवस्था की जा सकती है।
सामायिक दिवस : पर्युषण महापर्व का तीसरा दिन सामायिक दिवस का आयोजन किया गया। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि आज का मानव निकट से दूर और दूर से निकट हो रहा है। वह ग्रह नक्षत्रों से संपर्क स्थापित कर रहा है, समुद्र की गहराई का अवगाहन कर रहा है पर दूसरी ओर अपने अस्तित्व से दूर हो रहा है। सामायिक का तात्पर्य है अपने में रमण करना, अपने साथ जीना। आत्मरमण का व्रत हैसामायिक। सामायिक से बाहर और भीतर का संतुलन स्थापित होता है। बाल मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि सामाजिक तनाव मुक्‍ति का सफल उपाय हैसामायिक। बाल मुनिश्री ने गीत का भी संगान किया।
वाणी संयम दिवस : मुनि दीप कमार जी ने कहा कि वाणी को बाण नहीं, वीणा बनाएँ। जब भी बोलें मधुर भाषा में बोलें। कटु-कर्कश भाषा नहीं बोलें। मधुरभाषी सबका चहेता बनता है, सबमें लोकप्रिय होता है। मुनिश्री ने आगे कहा कि कम बोलें, बोलें तो मीठा बोलें, सत्य बोलें और जो बोलें तोलकर बोलें। मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि वाणी से व्यक्‍ति के चरित्र की पहचान होती है। कौन व्यक्‍ति कैसा है, इसकी पहचान उसका भाषा व्यवहार है।
अणुव्रत दिवस : मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि जन-जन में संयम प्रधान जीवनशैली का विकास होना चाहिए। अणुव्रत का उद्घोष ही है‘संयम: खलु जीवनम’। संयम ही जीवन है।
बाल मुनि काव्य कुमार जी ने गीत का संगान करते हुए कहाव्रत आत्मविश्‍वास बढ़ता है। व्रत से संकल्प शक्‍ति बढ़ती है।
जप दिवस : मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि जप आध्यात्मिक आरोहण का एक प्रशस्त उपक्रम है। मंत्र मंत्र अचिन्त्य प्रभाव उत्पन्‍न करने वाली शक्‍तियों में से एक है। मुनिश्री ने आगे कहा कि मंत्र जाप में उच्चारण का बहुत महत्त्व है। नमस्कार महामंत्र सबसे बड़ा मंत्र है। बाल मनि काव्य कुमार जी ने कहा कि चंचल मन को स्थिर एवं केंद्रित करने में जप सर्वोत्तम उपाय हैं
ध्यान दिवस : मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि जीवन के किसी महत्त्वपूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति ध्यान से ही संभव है। जो ध्यान का प्रशिक्षण नहीं लेगा, ध्यान का अभ्यास नहीं करेगा वह अधूरा रहेगा। अक्षम रहेगा। मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि शांति एवं आनंद का अनुभव करने के लिए प्रेक्षाध्यान की साधना करें।
संवत्सरी महापर्व : संवत्सरी महापर्व पर मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि संवत्सरी आत्ममंथन का पर्व है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि हम आत्मा के पास रहें। भीतर जो क्रोध, मान, माया, लोभ रूपी जो कषाय उन्हें दूर करके ही हम इस पर्व को सच्चे अर्थों में मना सकते हैं।
क्षमापना दिवस : क्षमापना दिवस का आयोजन किया गया। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि क्षमापना दिवस हमें यह संदेश दे रहा है कि हम दूसरों की भूलों को भूलें और क्षमा करें। क्षमापना का अर्थ है अपनी और पर की शांति के लिए क्षमा लेना और देना। मुनिश्री ने रायपुर के श्रावक समाज से खमतखामणा किए। मुनिश्री के सान्‍निध्य में पर्युषण महापर्व पर सैकड़ों तपस्याएँ और पौषध हुए।
क्षमापना कार्यक्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष सुरेंद्र चोरड़िया, महिला मंडल अध्यक्षा सरिता सेठिया, तेयुप अध्यक्ष वीरेंद्र डागा, टीपीएफ की तरफ से नवीन दुगड़, अणुव्रत समिति की ओर से सुरेंद्र ओस्तवाल ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। संचालन तेरापंथी सभा मंत्री सूर्यप्रकाश बैद ने किया।