पर्युषण महापर्व के अवसर पर बही धर्म की गंगा

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पर्युषण महापर्व के अवसर पर बही धर्म की गंगा

गंगाशहर
खाद्य संयम दिवस : साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में पर्युषण महापर्व का प्रथम दिन मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी पावनप्रभा जी ने कहा कि जैन धर्म का यह महान पर्युषण पर्व एक अलौकिक पर्व है। यह धर्म आराधना का पर्व है। इसमें हमें अपने आपको अवलोकन करना है। साध्वी आत्मयशा जी ने केंद्र द्वारा निर्देशित पर्युषण के दौरान करणीय त्याग-प्रत्याख्यान की प्रेरणा दी। साध्वी उन्‍नतयशा जी, साध्वी अक्षयप्रभा जी एवं साध्वी रम्यप्रभा जी ने विचार प्रकट किए।
प्रथम दिवस में रात्रिकालीन कार्यक्रम में तेरापंथ के भाष्यकार जयाचार्य साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण द्वारा किया गया। सभी साध्वियों ने रोचक प्रस्तुति के माध्यम से आचार्यश्री जयाचार्य जी के जीवन का परिचय दिया। मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम परिसंपन्‍न हुआ।
स्वाध्याय दिवस : द्वितीय दिवस स्वाध्याय दिवस के रूप में सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में मनाया गया। साध्वी पावनप्रभा जी ने अपने स्वाध्याय का महत्त्व बताते हुए सर्वजन को स्वाध्याय करने के लिए प्रेरित किया। साध्वियों द्वारा सामुहिक गीत की प्रस्तुति दी गई। साध्वी आत्मयशा जी ने अपने विचार व्यक्‍त किए।
सामायिक दिवस : अभातेयुप के तत्त्वावधान में तेयुप ने जैनों के प्रमुख पर्व पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन अभिनव सामायिक का आयोजन किया। साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में कुल 700 सामायिक हुई। तेयुप अध्यक्ष विजेंद्र छाजेड़ ने कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा, महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल और संपूर्ण समाज का विशेष श्रम नियोजित हुआ।
वाणी संयम दिवस : पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में आयोजित किया गया। साध्वी पावनप्रभा जी ने वाणी संयम का महत्त्व बताते हुए कहा कि वाणी का संयम मनुष्य को अनेक समस्याओं से बचाता है। जिस व्यक्‍ति के चेहरे पर मुस्कान दिखाई देती है, वह आनंदित व प्रसन्‍न जीवन जीता है। पवित्र आत्मा वाले व्यक्‍ति के मुखमंडल पर सहज ही मुस्कान का सागर लहराता है। वाणी संयम दिवस पर साध्वी रम्यप्रभा जी ने कहा कि व्यक्‍ति के व्यक्‍तित्व का परिचय देती है भाषा। साध्वी शुक्लप्रभा जी ने भी अपने विचारों को गीतिका के माध्यम से प्रबोधन किया। साध्वी पावनप्रभा जी ने तपस्या करने वालों को प्रत्याख्यान करवाया।
तेरापंथ सभा के मंत्री रतनलाल छलाणी ने बताया कि तेरापंथ भवन, गंगाशहर में पर्युषण पर मुनि शांतिकुमार जी के सान्‍निध्य में अखंड नवकार महामंत्र के जप तथा सायंकालीन प्रतिक्रमण में अनेक श्रावक-श्राविका भाग लेकर लाभान्वित हो रहे हैं।
अणुव्रत चेतना दिवस : पर्युषण महापर्व का पंचम दिवस अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में मनाया गया। साध्वी पावनप्रभा जी ने अणुव्रत का अर्थ बताते हुए कहा कि अणुव्रत का अर्थ हैछोटे-छोटे संकल्प। छोटे-छोटे संकल्पों द्वारा अपनी इच्छाओं एवं वासनाओं को नियंत्रित करना ही अणुव्रत है। साध्वी प्रभाश्री जी ने अपना उद्बोधन दिया तथा साध्वी अक्षयप्रभा जी ने प्रतिक्रमण के बारे में जानकारी दी। ज्ञानशाला संयोजक जतन संचेती ने ज्ञानशाला के बारे में जानकारी दी। तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष प्रकाश भंसाली ने अणुव्रत पर अपने विचार व्यक्‍त किए। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बोथरा ने अणुव्रत प्रबोध प्रतियोगिता की जानकारी दी। तेरापंथ भवन में नि:शुल्क वैक्सीनेशन शिविर सरकार के सहयोग से लगाया गया। पार्षद सुमन छाजेड़, शिवजी पडिहार, जेठमल व सरिता नाहटा, इंदर राव व मघाराम नाई, तेयुप, किशोर मंडल व कन्या मंडल के सदस्यों ने भी व्यवस्था बनाने में सहयोग किया। तेरापंथी सभा अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने सभी का आभार जताया।
जप दिवस : साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में जप दिवस मनाया गया। इस असर पर साध्वी दीपमाला जी ने जप का महत्त्व बताते हुए कहा कि जप करने से व्यक्‍ति की आंतरिक शुद्धि होती है। नमस्कार महामंत्र में अरिहंतों, सिद्धा, आचार्यों, उपाध्यायों और लोक के सब साधुओं को नमस्कार किया गया है। साध्वी पावनप्रभा जी ने अपना उद्बोधन दिया। साध्वी अक्षयप्रज्ञा जी ने प्रतिक्रमण के बारे में बताते हुए मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करने वाला बताया।
तेयुप के मंत्री देवेंद्र डागा ने तेयुप द्वारा आयोजित होने वाली ऑनलाइन प्रतियोगिता ‘मैं हूँ ज्ञानवान’ के बारे में विस्तृत जानकारी दी। रात्रिकालीन कार्यक्रम के अंतर्गत धार्मिक गीतों का रोचक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
ध्यान दिवस : साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में ध्यान दिवस मनाया गया। साध्वीश्री जी ने मनुष्य जीवन को अनमोल बताते हुए कहा कि मनुष्य जन्म बहुत मुश्किल से प्राप्त होता है। मानव भव को प्राप्त कर हमें अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहिए। इस अवसर पर साध्वी गौरवप्रभा जी ने ध्यान का महत्त्व बताते हुए कहा कि आत्मा के द्वारा आत्मा को देखना ध्यान है।
संवत्सरी महापर्व : पर्युषण महापर्व का आठवाँ व सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण दिन संवत्सरी महापर्व के रूप में मुनि शांतिकुमार जी एवं साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में मनाया गया। मुनि शांति कुमार जी ने कहा कि संवत्सरी महापर्व एक आध्यात्मिक महापर्व है। इस दिन प्रत्येक व्यक्‍ति अध्यात्ममय हो जाता है। जैन धर्म का यह सबसे बड़ा पर्व है। मुनि श्रेयांश कुमार जी ने सुमधुर गीतिकाओं की प्रस्तुति दी।
साध्वी पावनप्रभा जी ने क्षमा को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कि क्षमापना का महत्त्वपूर्ण अवसर हमारे सामने है। साध्वी आत्मयशा जी व साध्वी रम्यप्रभा जी ने मंगलाचरण किया। साध्वी गौरवप्रभा जी, साध्वी उन्‍नतयशा जी व साध्वी अक्षयप्रभा जी ने विचार व्यक्‍त किए। तेरापंथी सभा, गंगाशहर के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने उपस्थित सभी तपस्यिों का स्वागत व तपस्या का अनुमोदन किया। उन्होंने गंगाशहर जैन तेरापंथ समाज जनगणना कार्य के बारे में बताया।
क्षमापना समारोह : मुनि शांतिकुमार जी एवं साध्वी पावनप्रभा जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ भवन में क्षमापना समारोह मनाया गया। मुनि शांति कुमार जी ने क्षमा का महत्त्व बताते हुए कहा कि क्षमा वीर व्यक्‍ति का आभूषण है। आज के दिन हम 84 लाख जीवयोनियों से क्षमायाचना करते हैं। क्षमा के द्वारा हम मोक्ष मार्ग की ओर आगे बढ़ सकते हैं। साध्वी पावनप्रभा जी ने भी क्षमापना का अर्थ बताते हुए इस अवसर की सार्थकता प्रस्तुत की तथा सभी से क्षमायाचना की। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्रेयांस कुमार जी द्वारा प्रस्तुत क्षमा गीत से हुई।
तेरापंथी सभा, गंगाशहर के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, मंत्री रतनलाल छलाणी, जैन महासभा के अध्यक्ष व तेरापंथ न्यास के ट्रस्टी जैन लूणकरण छाजेड़, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष महावीर रांका, मंत्री हंसराज डागा, तेरापंथ महिला मंडल व अणुव्रत समिति की ओर से संतोष बोथरा, तेयुप के ललित राखेचा, टीपीएफ के अध्यक्ष मिलाप चोपड़ा, तेरापंथ किशोर मंडल के संयोजक कुलदीप छाजेड़ ने अपने विचार व्यक्‍त करते हुए सभी से क्षमायाचना की।