आत्म शुद्धि का साधना का पर्व है - पर्युषण

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आत्म शुद्धि का साधना का पर्व है - पर्युषण

रोहिणी, दिल्ली
खाद्य संयम दिवस : शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि दो प्रकार के पर्व होते हैंआध्यात्मिक और भौतिक। यह पर्व जागृति का मंत्र सीखाने वाला, त्याग-तपस्या की सरिता बहाने वाला अध्यात्म जगत में प्रवेश करने वाला पर्व है।
शासनश्री साध्वी सुव्रतां जी ने खाद्य संयम के संदर्भ में कहा कि प्रत्येक साधना का प्रारंभ खाद्य संयम की साधना से होता है। मंत्र साधना, तंत्र साधना, स्वास्थ्य साधना, साहित्य साधना आदि। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी सुमनप्रभा जी ने अंतकृद्दशा सूत्र के वाचन से किया। साध्वी कार्तिकप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी ने गीत से मंगलाचरण किया।
स्वाध्याय दिवस : शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि सभी धर्मों में प्रणाम करने का अलग-अलग तरीका है। जैन धर्म में साध्वियों को प्रणाम करने को वंदना शब्द से अभिहित किया जाता है। साध्वी चिंतनप्रभा जी ने कहा कि स्वाध्याय एक रसायन है इसके प्रयोग से आत्मा हृस्ट-पुष्ट बनती है, ज्ञान का आवरण दूर होता है। आत्मज्ञान की ज्योति से आत्मा ज्योतित होती है। टीपीएफ से जुड़े नंदलाल जैन ने अपने विचार व्यक्‍त किए।
सामायिक दिवस : तेरापंथ भवन में तेयुप ने विजय गीत का संगान कया। तेयुप के अध्यक्ष विकास जैन ने अभिनव सामायिक में भाग लेने वाले श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत किया।
साध्वी चिंतनप्रभा जी ने प्रारंभ में त्रिपदी वंदना का प्रयोग एवं लोगस्स का ध्यान करवाया।
शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने अभिनव सामायिक के अंतर्गत दीर्घ श्‍वास प्रेक्षा, स्वाध्याय के क्रम में गीत का संगान, त्रिगुप्ति की साधना का प्रयोग कराया। महिला मंडल अध्यक्षा मंजु देवी ने अपने विचार व्यक्‍त किए। प्रवीणा सिंघी ने समागत महिला मंडल, तेयुप का स्वागत किया।
वाणी संयम दिवस : शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने मर्यादा पत्र का वाचन करते हुए कहाआचार्य भिक्षु ने तेरापंथ धर्मसंघ का शिलान्यास मर्यादा के आधार पर किया।
साध्वी चिंतनप्रभा जी ने वाणी संयम पर अपने विचार व्यक्‍त करते हुए कहा कि वाणी से व्यक्‍तित्व की पहचान होती है। ललित श्यामसुखा ने गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा, दिल्ली के अध्यक्ष जोधराज बैद, महामंत्री डालमचंद बैद ने अपने विचार व्यक्‍त किए।
अणुव्रत चेतना दिवस : पर्युषण पर्व के पाँचवें दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ सभा के मंत्री सुरेंद्र नाहटा, मनोज बरमेचा, राजेश बैंगाणी एवं नगराज बुच्चा ने गीत से किया।
शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि अणुव्रत में व्यक्‍ति सुधार से विश्‍व सुधार तक की क्षमता है। यह वर्ण, जाति, संप्रदाय से मुक्‍त है। इसको प्रत्येक जाति, संप्रदाय का व्यक्‍ति ग्रहण कर सकता है।
साध्वी सुमनप्रभा जी ने अपनी भावाभिव्यक्‍ति में अनैतिकता और अप्रामाणिकता के संदर्भ में कई घटनाओं का जिक्र किया। अणुव्रत समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष श्रीचंद संचेती ने अपने विचार व्यक्‍त किए एवं मनोज बरमेचा ने प्रस्तुति दी।
जप दिवस : शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने भगवान महावीर के जीवन का शुभारंभ करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्‍ति जन्म से महान नहीं होता। धीरे-धीरे साधना-आराधना करता हुआ विकास के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच सकता है।
साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने कहा कि जप में बहुत बड़ी-बड़ी शक्‍तियाँ हैं एवं ऊर्जा है। इससे अनेकानेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। सर्वश्रेष्ठ मंत्र है - नमस्कार महामंत्र।
ध्यान दिवस : शासनश्री साध्वी सुव्रता जी ने कहा कि प्रेक्षाध्यान का अर्थ हैअतीत और अनागत से मुक्‍त होकर वर्तमान में जीना। प्रियता-अप्रियता से मुक्‍त होकर समता में जीना, चिंता और व्यथा से मुक्‍त होकर चेतना के शुद्ध धरातल पर जाना।
संवत्सरी महापर्व : शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि आज का दिन समग्र जैन समाज में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। वर्ष भर किए दोषों की आलोचना करके व्यक्‍ति निर्मल, पावन एवं शुद्ध बन जाते हैं।
शासनश्री साध्वी सुव्रतांजी ने अपने उद्गार व्यक्‍त किए। भिक्षु मंडल के सदस्यों एवं साध्वी कार्तिकप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी ने गीत प्रस्तुत किया।
क्षमायाचना दिवस : शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने क्षमायाचना समारोह में कहाआज का दिन निष्पत्ति का दिन है। आज तक आपने कोई अकृत किया है। दुश्‍चिंतन किया है अथवा दुर्वचन का प्रयोग किया है तो ॠजुमना बनकर क्षमायाचना कर लें तो पर्युषण महापर्व मनाना अधिकतम सार्थक होगा।
शासनश्री साध्वी सुव्रतांजी ने कहा कि मुक्‍ति प्राप्त करने के लिए क्षमा की साधना मुख्य द्वार है। वैर-विरोध के जहर को शांत करने के लिए अमृत की धारा है।
तेरापंथी सभा, रोहिणी के अध्यक्ष मदनलाल जैन, तेयुप के उपाध्यक्ष संजीव जैन, दिल्ली तेरापंथी सभा के मंत्री सुरेंद्र नाहटा, दिल्ली महिला मंडल की सदस्या प्रवीणा सिंघी, नागलोई सभाध्यक्ष अमित जैन, पश्‍चिम विहार सभाध्यक्ष श्यामलाल जैन ने विचार व्यक्‍त करते हुए क्षमायाचना की। कार्यक्रम का संचालन रोहिणी सभा कोषाध्यक्ष पराग जैन ने किया।