बारह व्रत श्रावकों का दिव्य आभूषण

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बारह व्रत श्रावकों का दिव्य आभूषण

बोलारम
तेरापंथ भवन में आयोजित बारह व्रत कार्यशाला को संबोधित करते हुए साध्वी काव्यलता जी ने कहा कि भगवान महावीर ने संपूर्ण मानव जाति को धर्म करने का अधिकारी बताया है। प्रत्येक प्राणी के जीवन में मिथ्यात्व, अव्रत, प्रमाद, कषाय एवं योग रूपी कर्मों का भार है। साध्वी ज्योतियशा जी व साध्वी सुरभिप्रभा जी ने कार्यशाला के लिए शुभकामना दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ तेयुप की भिक्षु प्रज्ञा मंडली के संगायकों द्वारा विजय गीत के संगान के साथ किया गया। तेयुप हैदराबाद के मंत्री वीरेंद्र घोषल ने बारह व्रतों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। प्रेरणा सुराणा द्वारा गीतिका की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन ॠषभ कातरेला द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में बोलारम सभा अध्यक्ष रतन सुराणा, महिला मंडल अध्यक्ष दमयंती देवी सुराणा, सभी संस्थाएं के पदाधिकारीगण, तेयुप उपाध्यक्ष विनोद दुगड़, तेयुप के युवा कार्यकर्तागण व श्रावक-श्राविका समाज की अच्छी उपस्थिति रही। आभार ज्ञापन तेयुप सहमंत्री नीरज सुराणा द्वारा किया गया।
साध्वी ज्योतियशा जी के संसारपक्षीय नानीसा श्रद्धानिष्ठ श्राविका जमनी देवी पुगलिया की स्मृति में उनके सुपुत्र भंवरलाल, जतन पुगलिया तथा पौत्र विक्रम पुगलिया, दोहित्र विनय बरमेचा ने ‘सफर शताब्दी का’ पुस्तक को साध्वीश्री जी को भेंट की।