संस्कारों का सशक्‍त माध्यम - ज्ञानशाला

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संस्कारों का सशक्‍त माध्यम - ज्ञानशाला

विजयनगरम्
मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी व मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्‍निध्य में ज्ञानशाला का वार्षिक उत्सव का आयोजन हुआ। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी ने कहा कि संस्कारों का सशक्‍त माध्यम हैज्ञानशाला। ज्ञानशाला के माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। ज्ञान हमारे भीतर की चेतना को जागृत करता है। ज्ञान के बिना विवेक का जागरण नहीं होता है। वार्षिकोत्सव के माध्यम से सबको बताया गया कि क्या सीखा, क्या प्राप्त किया। प्रशिक्षक एवं बच्चे दोनों की ज्ञान की आराधना हो जाती है।
मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि ज्ञानशाला हमारे जीवन की प्राथमिक अपेक्षा होती है। ज्ञानशाला में प्राप्त संस्कार जीवन की बुनियाद को सम्यक् बनाते हैं। आज के युग में बौद्धिक ज्ञान का विकास तो बहुत हुआ, लेकिन संस्कारों का विकास कम होता जा रहा है। बच्चे परिवार, समाज एवं देश का भविष्य होते हैं। भविष्य को शुभ बनाने के लिए प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, संस्कार को जीवंत रखना जरूरी है।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि ज्ञानशाला संस्कारों की शाला है। जो संस्कार बचपन में आते हैं वह ताउम्र काम आते हैं। जितना महत्त्व जीवन में श्‍वास का होता है उतना ही महत्त्व संस्कार का होता है।
ज्ञानार्थी के अर्हम गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। ज्ञानशाला प्रशिक्षक बहनों ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। स्थानीय संयोजक अंजू चोपड़ा ने स्वागत भाषण दिया। हमारी ज्ञानशाला वंडरफुल की रोचक प्रस्तुति नन्हे-मुन्‍ने ज्ञानार्थियों ने दी। ज्ञानशाला के बच्चों के मन के भावों का कन्या मंडल ने गीत के द्वारा अभिव्यक्‍ति दी। सभाध्यक्ष प्रवीण आंचलिया, सह-आंचलिक संयोजक सुनील बोरड़, महिला मंडल अध्यक्षा रीटा आंचलिया, तेयुप अध्यक्ष राकेश सेठिया ने विचार व्यक्‍त किए। चौदह स्वप्नों की रंगारंग प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। अनकापल्ली से समागत शिल्पा बाफना ने भावाभिव्यक्‍ति दी।
विजयनगरम् ज्ञानशाला से जुड़े दुबई से आर0वी0 सेठिया, कतर से मान्या भंसाली, सरदारशहर से कनिक और प्रियांशी दुगड़, प्रशिक्षक प्रेमलता आंचलिया ने लाइव प्रस्तुतियाँ देकर बताया। ज्ञानशाला हमारे जीवन के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण है। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षिका नेहा बैद ने किया। आभार मुख्य प्रशिक्षिका नम्रता दुगड़ ने किया। कार्यक्रम में उपस्थिति सराहनीय रही। सभी ज्ञानार्थियों को दो साल की परीक्षा के प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार दिए गए। सभा द्वारा ज्ञानार्थियों, प्रशिक्षक एंव कन्या मंडल का सम्मान किया गया।