भौतिकवादी युग में संस्कारों को जीवित रखने का माध्यम है - ज्ञानशाला

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भौतिकवादी युग में संस्कारों को जीवित रखने का माध्यम है - ज्ञानशाला

फारबिसगंज
डॉ0 साध्वी पीयूषप्रभा जी के सान्‍निध्य में ज्ञानशाला दिवस मनाया गया। इस अवसर साध्वी पीयूषप्रभा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म के नवम अधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी ने अपने जीवन में अनेक सपने लेते हुए, हर सपने को आकार देकर समाज के सामने नए आयाम दिए। अनेकों आयामों में एक महत्त्वपूर्ण आयाम हैज्ञानशाला। भौतिक युग में संस्कारों को जीवित रखने का विकल्प हैज्ञानशाला।
साध्वी दीप्तियशा जी ने ज्ञानशाला को संस्कारों की प्रयोगशाला बताया। ज्ञानशाला के बच्चों ने किसनो जी और भारमल जी के संवाद की सुंदर प्रस्तुति दी। ज्ञानार्थी सृष्टि डागा, कृषा छाजेड़ ने संस्कार सप्तक से, आस्था बोथरा ने भिक्षु अष्टकम से और भाविका सेठिया, देव बैंगानी, हर्षित जैन, खुश खटेड़ की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।
सभा अध्यक्ष निर्मल मरोठी, ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका प्रभा सेठिया, पटना से समागत तनसुख
बैद, सभा मंत्री मनोज बैंगानी ने वक्‍तव्य और गीतों से अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन
नीलम बोथरा ने किया। उपस्थित सभी बच्चों को फारबिसगंज सभा की ओर से प्रोत्साहित किया
गया। कार्यक्रम में पटना के अध्यक्ष, सिलीगुड़ी से तोलाराम सेठिया व फारबिसगंज के अनेक श्रावक उपस्थित थे।