बारह व्रत कार्यशाला

संस्थाएं

बारह व्रत कार्यशाला

जिन्द
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्‍निध्य में अभातेयुप के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में बारह व्रत कार्यशाला का आयोजन रखा गया। मंगलाचरण राजेश जैन ने किया। मंत्री कुणाल मित्तल ने कार्यशाला के विषय में विचार प्रस्तुत किए। शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि जिनशासन के चार अंग हैंसाधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका। श्रावक जिन शासन के अभिन्‍न अंग होते हैं। भगवान महावीर ने कहा कि धर्म के दो प्रकार हैंअणगार धर्म, आगार धर्म। श्रावक आगार धर्म को स्वीकार करता है, वह व्रताव्रती धर्माधर्मी, संयमासंयमी होता है। जितना त्याग करता है उतना धर्म है। श्रावक वह होता है जो श्रा अर्थात् श्रद्धा, व यानी विवेक, क यानी क्रिया जो श्रद्धा से विवेकपूर्ण क्रिया करता है। श्रावक की पहली विशेषता है श्रद्धाशीलता, देव, गुरु, धर्म के प्रति घनिभूत आस्था।
दूसरी विशेषता विश्‍वासपात्रता उसके व्यवहार व्यवसाय आदि में प्रमाणिकता, तीसरी विशेषता प्रयोग-धर्मिता साधना के नए-नए प्रयोग करते रहना। अव्रत से व्रत असंयम से संयम की ओर प्रस्थान करना जीवन जागृति का अभ्यास करना व्रतों से जीवन का परिष्कार होता है। साध्वीश्री जी ने उपस्थित श्रोताओं को बारह व्रतों को विस्तार से समझाया, सभी को यथाशक्य संकल्प करवाया। आभार ज्ञापन अध्यक्ष आशु जैन ने किया। अंत में श्रावक गीत का संगान किया।