मासखमण तप अनुमोदना

मासखमण तप अनुमोदना

साहुकारपेट, चेन्‍नई
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ भवन में सुशीला देवी धारीवाल के मासखमण तप की अनुमोदना में तेरापंथी सभा एवं संघीय संस्थाओं द्वारा तप अनुमोदना का कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वीश्री जी ने कहा कि जिनशासन का प्राण तत्त्व हैतपस्या। तपस्या जिनशासन की नीवों को मजबूती प्रदान करता है। तपस्या कर्म निर्जरा का अमोद्य साधन है।
साध्वीश्री जी ने कहा कि सुशीला धारीवाल मासखमण तप की भेंट लेकर उपस्थित है। मासखमण का मनोरम दीप जला है। पूरा परिसर तप ज्योति से ज्योतिर्मय बन रहा है। पूरे परिवार का अच्छा सहयोग रहा। विमला मांडोत ने अठारह का तप किया है। बारह मासखमण कर चुके हैं। तपस्वियों की ख्यात में नाम लिखाया है। तेरहवें मासखमण की हम मंगलकामना कर रहे हैं। साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी व साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने मंच संचालन किया। सभा मंत्री गजेंद्र खटेड़ ने साध्वीप्रमुखाश्री जी के संदेश का वाचन करते हुए सभा की ओर से शुभकामनाएँ संप्रेषित की। महासभा से ज्ञानचंद आंचलिया, तेयुप अध्यक्ष मुकेश नवलखा, धनराज धारीवाल, उषा बोहरा, संगीता गादिया ने विचार व्यक्‍त किए।
परिवार की बहनों ने गीतिका व बच्चों ने कविता प्रस्तुत की। सभा व ट्रस्ट की ओर से दोनों तपस्वियों का सम्मान किया। तेयुप द्वारा आयोजित भिक्षु स्मृति साधना के शुभारंभ के अवसर पर साधकों को साध्वीश्री ने संकल्पों से संकल्पित करवाया। गणपतकंवर डूंगरवाल की स्मृति सभा में शोक संतप्त परिवार को साध्वीश्री जी ने संबल प्रदान किया।