मासखमण तप अभिनंदन

मासखमण तप अभिनंदन

हैदराबाद
ग्रीष्म ॠतु की भीषण गर्मी, ऊपर से कोरोना का आतंक, तरह-तरह के न्यू स्टे्रन से जहाँ आदमी अपनी सुरक्षा के हर संभव उपाय कर रहा है, वहाँ 33 दिन का निराहार तप प्रबल आत्मबल का परिचयक हैये उद्गार साध्वी निर्वाणश्री जी ने भीखमचंद नखत के तप के उपलक्ष्य में अभिव्यक्‍त किए। नेक्लेस प्राइड में नखत ने तप के पारणा के अवसर पर विदुषी साध्वीश्री जी के सान्‍निध्य में महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी के संदेश का वाचन राजेश नखत ने किया।
साध्वी डॉ. योगक्षेमप्रभा जी ने नखत की धर्मपत्नी के प्रति भक्‍ति, गुरुभक्‍ति और गुरु सेवा को आदर्श बताया। अपनी शादी की स्वर्ण जयंती पर ऐसा अनूठा उपक्रम कोई विरला व्यक्‍ति ही कर सकता है। साध्वीश्री ने सघरचित गीत के द्वारा भीखमचंद नखत के तप का अनुमोदन किया, जिसे सहस्वर दिया साध्वी कुंदनयशा जी एवं साध्वी मधुरप्रभा जी ने। ज्ञात है कि साध्वी निर्वाणश्री जी स्वयं तप पारणा के अवसर पर डी0वी0 कॉलोनी से कावड़ीगुड़ा पधारी, जिससे पूरे नखत परिवार सहित नेक्लेस प्राइडवासी भाव-विभोर हो गए। सायंकालीन सामायिक में अशोक दुगड़ के निवास में एक नया ही नजारा देखने को मिला। जिसमें सूरत, गुवाहाटी आदि क्षेत्रों से समागत मनोज सुराणा, दिलीप दुगड़ आदि तथा ललित बैद, मंजु दुगड़, सुशीला बैद, राजेश नखत, मदन देवी दुगड़, मुकेश चोरड़िया आदि अनेक भाई-बहनों ने धर्माराधना का लाभ लिया।
भीखमचंद नखत को लगभग 6 दिनों तक शासनश्री साध्वी जिनरेखा जी व साध्वी निर्वाणश्री जी के सान्‍निध्य अभिनव गीतों द्वारा तप की वर्धापना की गई। तप की मंजुल स्वरलहरियों से भवन प्रांगण गूंजता रहा। साध्वीद्वय की सन्‍निधि में समय-समय पर सहवर्ती साध्वियों ने सह-संगान कर तप अनुमोदना की।