जैनागमों के महान मर्मज्ञ थे - आचार्य भिक्षु

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जैनागमों के महान मर्मज्ञ थे - आचार्य भिक्षु

राजाराजेश्‍वरी नगर
तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी के सान्‍निध्य में आचार्यश्री भिक्षु का 296वाँ जन्म दिवस एवं 264वाँ बोधि दिवस आयोजित किया गया। साध्वीश्री द्वारा महामंत्रोच्चार के पश्‍चात तेममं द्वारा मंगलाचरण में आचार्य भिक्षु के श्रीचरणों में श्रद्धागीत समर्पित किया गया। शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने कहा कि जैनागमों के महान
मर्मज्ञ एवं व्याख्याता थे आचार्य भिक्षु, उनकी सूक्ष्मग्राही मनीषा ने प्रवाहपाती बनना स्वीकार नहीं किया। आचार्य भिक्षु ने कहा आत्म साधना के पथ में संयम एवं अहिंसा ही स्वीकार्य है।
शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु दिव्य संकेतों के साथ जन्मे। जब वे गर्भ में थे तब माँ दीपा ने सिंह का स्वप्न देखा था, वह चरितार्थ हुआ।
साध्वी उदितप्रभा जी, साध्वी निर्भयप्रभा जी, साध्वी चेलनाश्री जी ने आचार्य भिक्षु के जीवन पर विचार रखे। तेरापंथ सभा अध्यक्ष मनोज डागा, तेयुप अध्यक्ष सुशील भंसाली, तेममं अध्यक्षा लता बाफना, सभा के संस्थापक अध्यक्ष कमल दुगड़, तेयुप अध्यक्ष सतीश पोरवाड़ आदि ने अपने विचार व्यक्‍त किए।
उपाध्यक्ष राजेश देरसारिया, अशोक श्रीश्रीमाल, कमलेश गन्‍ना, पंकज, रंजीत आदि उपस्थित थे। तेममं से सीमा श्रीमाल, सुनीता कोठारी भी उपस्थित थी। तेयुप अध्यक्ष सतीश पोरवाड़ ने अपनी टीम के साथ नवीन संशोधित सचित्र श्रावक प्रतिक्रमण पुस्तक का लोकार्पण शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी के सान्‍निध्य में किया। आभार ज्ञापन तेरापंथ सभा मंत्री विक्रम मेहर ने किया।