आचार्य भिक्षु का संयम अनुत्तर था

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आचार्य भिक्षु का संयम अनुत्तर था

बोलाराम
तेरापंथ स्थापना दिवस पर साध्वी काव्यलता जी ने कहा कि आषाढ़ी पूर्णिमा का दिन भी पवित्र हो गया, क्योंकि इसके साथ गुरु शब्द जुड़ा हुआ है। गुरु का महत्त्व हर संप्रदाय में है। गुरु प्रकाशपुंज, शक्‍तिपुंज, ऊर्जा प्रदाता और तारणहार होते हैं। आज के दिन तेरापंथ को अध्यात्म गुरु मिले। ऐसे गुरु जो जीवन पर्यन्त सत्य के पुजारी बने रहे। भगवान महावीर के आगम वाक्यों को वे अपने जीवन का आधार मानते थे। आचार्य भिक्षु का संयम अनुत्तर था। उनकी त्यागमय साधना की निष्पत्ति है ये तेरापंथ।
साध्वी सुरभिप्रभा जी ने मधुर स्वरों से जनता को भावविभोर कर दिया। मंच संचालन करते हुए साध्वी ज्योतियशा जी ने कहा कि आत्मशुद्धि पर चलने वाले गुरु भिक्षु ने हमें सत्य की राह दिखाई। कष्टों में बढ़ते रहने का मार्ग प्रशस्त किया।
समारोह में तेरापंथी सभा, सिकंदराबाद के अध्यक्ष सुरेश सुराणा ने बोलाराम की पचरंगी सभा को देख प्रसन्‍नता व्यक्‍त की। सहमंत्री राकेश सुराणा ने भिक्षु कुर्बानी का स्मरण किया। संगठन मंत्री धर्मेन्द्र चोरड़िया, जैन सेवा संघ के कोषाध्यक्ष अशोक संचेती, बोलाराम सभा अध्यक्ष रतन सुराणा, रिसाला बाजार, सदर बाजार, रेतु बाजार, अलवल, लोधकुंटा आदि क्षेत्र के वरिष्ठ श्रावक-श्राविका समुदाय भी अच्छी संख्या में उपस्थित थे। अशोक संचेती और शेखर बैद ने तेले की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने सुमधुर कव्वाली से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। उपवास, एकासन, आयंबिल का भाई-बहनों ने सामुहिक रूप से त्याग किया।