आत्म कल्याण का समय - चातुर्मास

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आत्म कल्याण का समय - चातुर्मास

विजयनगरम्
मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि प्रशांत कुमार जी का चातुर्मास प्रवेश महावीर जैन भवन में हुआ। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी ने कहा कि चातुर्मास का समय आध्यात्मिक साधना-आराधना का समय होता है। चार ही तीर्थ ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की विशेष साधना कर कर्म निर्जरा करते हैं। चार माह का समय अपने आत्मविशुद्धि करने मन एवं भावों को पवित्र करने का है।
मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि आज विजयनगरम् में चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश हुआ है। जब क्षेत्र में साधु-साध्वी का आगमन तब सहज ही धार्मिक उत्साह, उमंग का वातावरण बन जाता है। संतों का आना ही मंगलमय होता है। संतों के आने से जीवन में बहार आ जाती है। इस चातुर्मास का लक्ष्य लाभ लेना है। जीवन में परिवर्तन लाना है।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि चातुर्मास किसी व्यक्‍ति या संस्था का नहीं संपूर्ण श्रावक समाज का है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की विशेष साधना करनी है। मुनि विमलेश कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर का जीवन समता का जीवन दर्शन है। समता हमारी साधना का सार है। अपने क्रोध को उपशांत कर शांति का जीवन जीना है। चातुर्मास में समत्व का भाव बढ़ाने के साथ अपने अहं को भी छोड़ने का सलक्ष्य प्रयास करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या मंडल के मंगलाचरण से हुआ। महासभा के क्षेत्रीय प्रभारी विमल कुंडलिया, सभा अध्यक्ष प्रवीण आंचलिया, तेरापंथ सभा, विशाखापट्टनम के अध्यक्ष मनोज दुगड़, मूर्तिपूजक समाज से वसंत कोठारी, स्थानकवासी समाज से शांतिलाल पोखरना, दिगंबर समाज से राजेंद्र कुमार जैन, महिला मंडल विशाखापट्टनम के मंत्री जयश्री लालवाणी ने विचार व्यक्‍त किए। तेयुप, चोपड़ा परिवार, तेममं, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी, ज्ञानशाला प्रशिक्षक ने गीत के माध्यम से मुनिवृंद का स्वागत किया। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री संजीव श्यामसुखा ने किया। कार्यक्रम का संयोजन बाबूलाल चिंडालिया ने किया।