प्रज्ञा संपन्‍न थे आचार्यश्री भिक्षु

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प्रज्ञा संपन्‍न थे आचार्यश्री भिक्षु

विल्लुपुरम
साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी के सान्‍निध्य में आचार्यश्री भिक्षु के 296वें जन्मोत्सव एवं 264वें बोधि दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम दो चरणों में रखा गयाप्रात:कालीन कार्यक्रम एवं सायंकालीन कार्यक्रम। प्रात:कालीन कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय कन्या मंडल की कन्याओं द्वारा मंगलाचरण से हुआ। साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी ने कहा कि स्वामी जी की तेरस को सर्व सिद्ध तिथि भी कहा जाता है। स्वामी जी का जन्म ज्योति, शक्‍ति एवं क्रांति के अवतार के रूप में हुआ था। वे एक ऐसे अवतारी पुरुष थे, जिन्होंने जिन धर्म के मार्ग को समझाया और उसी पथ पर आगे बढ़ते रहे।
साध्वी सन्मतिप्रभा जी ने कहा कि महामना आचार्यश्री भिक्षु हम सबके आस्था के केंद्र, पुण्य के पुंज, सत्य के आराधक, आचारनिष्ठ एवं प्रज्ञा संपन्‍न व्यक्‍ति थे। साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी ने स्वामीजी के जीवन की कुछ प्रेरक घटनाओं को बताया।
विल्लुपुरम एवं वलवनूर के ज्ञानशाला के बच्चों एवं कन्या मंडल ने सायंकालीन कार्यक्रम में स्वामी जी के जीवन से जुड़ी रोचक घटनाओं को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया। निखिल-स्नेहा भंडारी ने साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी द्वारा रचित मधुर गीत का संगान कर अपने भावों को प्रकट किया। वलवनूर की कन्या मंडल और महिलाओं ने गीत प्रस्तुत किया।
स्थानीय महिला मंडल की सदस्याओं के द्वारा सुंदर गीत प्रस्तुत किया गया। तेयुप से पवन सुराणा ने अपना वक्‍तव्य एवं सुशील सुराणा के साथ एक गीतिका प्रस्तुत की। प्रियंका सुराणा ने अपने भावों से भिक्षु स्वामी को भावभरी श्रद्धांजलि अर्पित की। ज्ञानशाला के नन्हे बच्चों की एक प्रस्तुति रक्षा आंचलिया, यश सुराणा एवं खुश भंडारी का वक्‍तव्य प्रभावकारी रहा। कार्यक्रम का संचालन संगीता सुराणा ने किया।