त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का श्ुाभारंभ

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त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का श्ुाभारंभ

कटक, उड़ीसा।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में प्रेक्षा प्रशिक्षक विमल गुनेचा की उपस्थिति में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का शुभारंभ तेरापंथ भवन में हुआ। जिसमें 33 शिविरार्थियों के अतिरिक्त अन्य लोग भी भाग लिया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ध्यान का बड़ा महत्त्व है। ध्यान भारतीय संस्कृति की आत्मा है। ध्यान के द्वारा जीवन की दिशा और दशा बदल जाती है। ध्यान संतुलित जीवन जीने की कला है। मुनिश्री ने आगे कहा कि ध्यान में एक ध्यान प्रेक्षाध्यान है। प्रेक्षाध्यान आचार्य महाप्रज्ञ जी के उर्वरा मस्तिष्क की देन है। प्रेक्षाध्यान से आचार-विचार, संस्कार, व्यवहार सम्यक् होते हैं। ध्यान से भव के रोग समाप्त हो जाते हैं। मुनिश्री ने भाव क्रिया, प्रतिक्रिया विरति मैत्री, मितभाषण, मिताहार के बारे में बताया। मुनि परमानंद जी ने विचार रखे। उपासक प्रेक्षा प्रशिक्षक विमल गुनेचा ने योगासन ध्यान, अनुप्रेक्षा आदि के प्रयोग कराते हुए प्रशिक्षण दिया। तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष हनुमानमल सिंघी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।