शिक्षा की समस्या का समाधान करता है जीवन-विज्ञान

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शिक्षा की समस्या का समाधान करता है जीवन-विज्ञान

दिवेर।
शिक्षा हो और समाधान ना हो तो वह शिक्षा अधूरी है। शिक्षा से समस्या का समाधान होना चाहिए। शिक्षा के चार आयाम हैंµशारीरिक विकास, मानसिक विकास, बौद्धिक विकास और भावनात्मक विकास, सर्वांगीण विकास के लिए सर्वांगीण शिक्षा का होना जरूरी है। वर्तमान की समस्या का समाधान शिक्षा के माध्यम से हो सकता है। उक्त विचार मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने फूलीबाई भेरूलाल नाहर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, दिवेर में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि जीवन-विज्ञान से जहाँ एक ओर वर्तमान की समस्या का समाधान होता है, वहीं दूसरी ओर अध्यापक और विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होता है।
इस अवसर पर मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान एवं जीवन-विज्ञान के प्रयोग कराते हुए विद्यार्थियों को सुंदर लेखनी स्मृति विकास तनाव मुक्ति, क्रोध समन एवं संतुलित जीवन जीने के प्रयोग करवाए। कार्यक्रम मुनि संजय कुमार जी एवं मुनि प्रकाश कुमार जी की प्रेरणा से आयोजित हुआ। प्रारंभ में स्कूल की छात्राओं के द्वारा गीत का सामूहिक संगान किया गया। प्राचार्य गणेश राम बुनकर ने मुनिश्री का स्वागत किया। डालचंद सोलंकी ने मुनिप्रवर का परिचय दिया। तेरापंथ सभा के मंत्री बाबूलाल लोढ़ा, पवन पगारिया, ललित लोढ़ा एवं अनेक महिलाएँ उपस्थित थे। प्राचार्य को स्कूल के लिए प्रेक्षाध्यान और ‘स्वास्थ्य पुस्तक’ भेंट की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नौवीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक के छात्राओं ने भाग लेकर अणुव्रत के संकल्प स्वीकार किए। स्कूल की ओर से हरीश सालवी ने आभार ज्ञापन करते हुए पुनः आगमन हेतु निवेदन किया।