हमारी पहचान - हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार विषयक कार्यशाला

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हमारी पहचान - हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार विषयक कार्यशाला

माधावरम्, चेन्नई।
संपूर्ण विश्व में एकमात्र भारतवर्ष को ही विश्व गुरु कहा गया है। संसार के अनेकों विकसित देशों के पास भोग-उपभोग के साधनों की बहुलता होते हुए भी भारत को ही भारतमाता से संबोधित किया जाता है। उक्त विचार तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई की आयोजना में ‘हमारी पहचान-हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार’ विषयक कार्यशाला में मुनि सुधाकर कुमार जी ने व्यक्त किए। मुनिश्री ने कहा कि भारत में विकास से ज्यादा चरित्र पर, संपत्ति से ज्यादा संस्कृति पर बल दिया जाता है। सत् संस्कृति से ही संस्कार बलवान बनते हैं। मुनिश्री ने अनेकों जीवनोपयोगी टिप्स बताए। मुनि नरेश कुमार जी ने विषयानुरूप विचार व्यक्त किए। उपासक धनराज मालू ने गीत का संगान किया।