बच्चों में हो विनम्रता, ईमानदारी और अहिंसा के संस्कार: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

बच्चों में हो विनम्रता, ईमानदारी और अहिंसा के संस्कार: आचार्यश्री महाश्रमण

निम्बीजोधा, 14 नवंबर, 2022
जैन धर्म के प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी आज 15 कि0मी0 का विहार कर निम्बीजोधा स्थित स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल पधारे। मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए परम पावन ने फरमाया कि अर्हत् वाङ्मय में कहा है कि आदमी दुःख से मुक्त होना चाहता हो तो उसे दुःख-मुक्ति का सही रास्ता पकड़ना-स्वीकार करना चाहिए। शास्त्रकार ने दुःख मुक्ति का उपाय बताया है-अपने आपका निग्रह करो। आत्मानुशासन अगर आदमी कर ले तो दुःखमुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। ये बहुत उपयोगी और ऊँची चीजें होती हैं।
बाल दिवस बच्चों के संदर्भ में है। बच्चे भी एक संपदा होती है। इस पौध को अमृत सिंचन मिले तो ये पौध एक सुंदर फलदायी वृक्ष के रूप में तैयार हो सकती है। बालकों में अनुशासन निष्ठा हो तो उनमें सुसंस्कार आ सकते हैं। सुंदर कहा गया है-बिना कर्तव्य और अनुशासन के लोकतंत्र का देवता मृत्यु और विनाश को प्राप्त हो सकता है।लोकतंत्र स्वच्छंद-तंत्र न हो जाए। ये लोकतंत्र की प्रणाली है। विद्यालय में बच्चों में ज्ञान का विकास होना चाहिए। संस्कार युक्त शिक्षा हो। विनम्रता, ईमानदारी और अहिंसा के संस्कार हों।
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। बच्चे उनको चाचा नेहरू कहते थे। बाल दिवस पर बच्चों में ऐसी निष्ठा जाग जाए कि हम स्वर्ग को धरती पर ले आएँ। बच्चे अच्छे और सच्चे बनें। आचार्य तुलसी पंडित नेहरू से मिले थे। बच्चों का विकास किसी रूप में देश का विकास हो सकता है। बाल दिवस से प्रेरणा हो कि बच्चों में शिक्षा-दीक्षा अच्छी हो। पूज्यप्रवर ने बच्चों को प्रतिज्ञाएँ करवाई।
स्वामी विवेकानंद गवर्नमेंट स्कूल के प्रिंसिपल सुनील शर्मा ने पूज्यप्रवर का विद्यालय में स्वागत किया। मर्यादा महोत्सव समिति बायतु से मनोज चोपड़ा ने आभार व्यक्त किया व सुनील शर्मा का सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि हम विष पिलाने वाले को भी अमृत पिलाने का प्रयास करें।