भगवान महावीर की वाणी में विश्वशांति की क्षमता

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भगवान महावीर की वाणी में विश्वशांति की क्षमता

विशाखापट्टनम्।
तेरापंथ भवन में दीपावली और भगवान महावीर के 2549वें निर्वाण कल्याणक दिवस का आयोजन मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर राजकुल में जन्मे, वैभव में पले-पुसे, युवा बने, तब समत्वचक्षु विकसित कर साधना पथ पर बढ़ चले। सिद्धि प्राप्त की। जनता के बीच रहे। उन्होंने शांति, समता, अनेकांत का मार्ग बताया। उनका दर्शन व्यक्ति के लिए ही नहीं, समाज के लिए भी है। उनकी अहिंसा कायर की अहिंसा नहीं, योद्धा की अहिंसा थी। आज भी भगवान की वाणी में विश्व शांति के पथ-दर्शन की क्षमता है। मुनिश्री ने विस्तार से भगवान के निर्वाण प्रसंग को सुनाया। मुनिश्री ने आगे कहा कि दीपावली प्रकाश का पर्व है। बाहर ही नहीं, भीतर को भी प्रकाशित बनाएँ। स्वयं के दीपक स्वयं बनें। केवल मिठाई खाएँ ही नहीं, मीठा बोलना भी सीखें। मुनि काव्य कुमार जी ने गीत का संगान किया। मुनिश्री ने जप का प्रयोग भी करवाया।