वंदन से टूटे, कर्मों के बंधन

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वंदन से टूटे, कर्मों के बंधन

माधावरम्।
आवस्स्यं सूत्र पर आधारित व्याख्यानमाला के अंतर्गत मुनि सुधाकर कुमार जी ने वंदना विषय पर कहा कि वंदना से कर्मों के बंधन टूटते हैं। मन में भक्ति, वचन से स्तुति, शरीर में विनम्रता, व्यक्ति को भाव वंदना की ओर अग्रसर करती है। वंदना से विनम्रता का विकास होता है। विनम्रता जीवन का सच्चा शंृगार है। मुनिश्री ने वंदन पाठ का विस्तार से विवेचन करते हुए वंदना के महत्त्व को रेखांकित किया। आज विश्व में अणुबम नहीं अणुव्रत की जरूरत है। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों से जीवन को सजाया एवं संवारा जा सकता है। मुनि नरेश कुमार जी ने गीत का संगान किया।