त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का समापन

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त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का समापन

सूरत।
मुनि उदित कुमार जी के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन, सूरत के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हुआ। त्रिदिवसीय कार्यशाला में लगभग 150 भाई-बहिनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। संभागियों को ध्यान एवं कायोत्सर्ग की विस्तृत सैद्धांतिक समझ देते हुए प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर मुनि उदित कुमार जी ने कहा कि प्रेक्षाध्यान यह शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राप्त करने का सुंदर उपक्रम है। ज्ञाता-दृष्टा भाव का अर्थ है परिस्थिति के साथ राग और द्वेष को जोड़े बिना केवल घटनाओं को निर्लिप्त भाव से देखते रहना और प्रतिक्रिया मुक्त रहना। जो व्यक्ति ज्ञाता-दृष्टा भाव का विकास करना सीख लेता है वह सुखमय जीवन को प्राप्त कर सकता है। मुनि अनंत कुमार जी ने श्रावक के बारह व्रतों में से तीसरा अदत्तादान व्रत की विस्तृत जानकारी दी।
प्रेक्षा प्रशिक्षक गौतम गादिया ने आसन-प्राणायाम व पायल सेखानी ने ध्यान के प्रयोग करवाए। प्रेक्षा प्रशिक्षक श्वेता रामपुरिया ने श्वास प्रेक्षा के संबंध में उपयोगी जानकारी दी। मधु नाहटा ने कायोत्सर्ग के प्रयोग करवाए। रेणु बैद ने त्रिदिवसीय शिविर के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी। संध्या रायसोनी ने आभार ज्ञापन किया। प्रशिक्षिकाएँ अलका सांखला, संगीता भंसाली, रंजना भोलावत, दुर्गा जैन, प्रियंका श्रीमाल, चांदनी सुराणा, पुष्पा पोखरना, निल्पा परीख आदि ने प्रशस्य श्रम किया। उपासिका सरोज बांठिया एवं पंकज प्रजापति ने रोचक अनुभूति का वर्णन किया।