भारतीय ऋषि परंपरा के देदीप्यमान ज्योति पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी

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भारतीय ऋषि परंपरा के देदीप्यमान ज्योति पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी

आचार्यश्री तुलसी के 109वें जन्मोत्सव के आयोजन

बालोतरा
आचार्यश्री तुलसी का 109वाँ जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मुनि मोहजीत कुमार जी के सान्निध्य में न्यू तेरापंथ भवन में मनाया गया। इस अवसर पर मुनि मोहजीत कुमार जी ने कहा कि मानवता के मसीहा आचार्यश्री तुलसी भारतीय ऋषि परंपरा के देदीप्यमान ज्योति पुरुष थे। जिन्होंने धर्म और अध्यात्म के उदात्तीकरण के साथ-साथ मानव मूल्यों के निर्माण में महनीय भूमिका निभाई और पूरे देश में मानव-चरित्र के उत्थान हेतु एक नई क्रांति पैदा की। आचार्यश्री तुलसी का जीवन बहुआयामी था। एक ओर जहाँ वे उच्च कोटि के दार्शनिक एवं प्रबुद्ध चिंतक थे, वहीं नैतिकता, अहिंसा, विश्व शांति, सामाजिक-धार्मिक सौहार्द, संस्कार निर्माण और समन्वय के आधुनिक प्रस्तोता भी थे।
इस अवसर पर मुनि जयेश कुमार जी ने कहा कि आचार्य तुलसी एक क्रांतदर्शी, राष्ट्र सुधारक संत थे। उनकी क्रांतदर्शिता ने असांप्रदायिक एवं परंपरागत क्रियाकांडों से मुक्त धर्म नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों का राष्ट्रीय चरित्र में प्रस्थापित करने का भागीरथ प्रयास किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि भव्य कुमार जी ने किया। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने साधना, शिक्षा, शोध, सेवा, साहित्य, सृजन, सामाजिक उत्थान आदि के माध्यम से सर्वांगीण व्यक्तित्व के निर्माण के लिए सतत् प्रयत्नशील रहे। इस अवसर पर तेममं द्वारा निर्देशित शंृखलाबद्ध मौन के तहत बालोतरा महिला मंडल के प्रयास से लगभग 60 बहनों ने 24 घंटे लगातार मौन की साधना की। कार्यक्रम की शुरुआत में अणुव्रत गीत का संगान अणुव्रत समिति अध्यक्ष जवेरीलाल सालेचा और स्वागत वक्तव्य सभा अध्यक्ष धनराज ओस्तवाल द्वारा किया गया।