महाप्रज्ञ अलंकरण दिवस

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महाप्रज्ञ अलंकरण दिवस

पाली।
स्कूलों में ‘महाप्रज्ञ अलंकरण दिवस’ के त्रिदिवसीय कार्यक्रम के संदर्भ में प्रार्थना सभा में जीवन-विज्ञान के दौरान ताड़केश्वर रामेश्वर-सरस्वती बालिका उ0मा0 विद्यालय की बालिकाओं को संबोधित करते हुए मुनि तत्त्वरुचि जी ‘तरुण’ ने कहा कि भारतीय संस्कृति भोग प्रधान नहीं, त्याग प्रधान है। अतः जीवन-विज्ञान शिक्षा प्रणाली के द्वारा देश के भावी कर्णधारों में त्याग के संस्कारों का बीजारोपण होना चाहिए। भोग जीवन में समस्या पैदा करते हैं, त्याग से जीवन को जटिलताओं का समाधान मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि भोगवाद पाश्चात्य संस्कृति की देन है। सचिव प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि हमारी शिक्षा से विद्यार्थियों को जीवन-विज्ञान शैली, सत्य, अहिंसा, तप, त्याग के संस्कार मिलने चाहिए। जिससे भोगवाद की समस्या का समुचित समाधान हो सके। मुनिश्री ने बताया कि शुभ भविष्य का निर्माण करना ही जीवन-विज्ञान अभियान का मुख्य ध्येय है।
इस अवसर पर मुनिश्री ने उपस्थित 600 छात्राओं को योग, आसन, ध्यान और नशामुक्त रहने का संकल्प करवाया। इसके अलावा उन्होंने ध्यान-योग के प्रयोग से व्यक्तित्व विकास की विधा भी बताई। अणुव्रत समिति की बहिनों के अणुव्रत गीत से कार्यक्रम का प्रारम्भ हुआ। प्रियंका चोपड़ा ने मंच संचालन किया। बसंत सोनी मंडिया ने आभार ज्ञापन किया। स्कूल प्रधानाध्यापिका दीपिका ओझा ने विचारों की अभिव्यक्ति के साथ अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में उषा जी आखावत भारतीय जैन संगठन के महिला विंग की मंत्री बतौर मुख्य अतिथि थी। अभातेममं की सदस्या विनीता बैंगानी, तेयुप से रोशन नाहर, अणुव्रत समिति के सदस्यों में दीपिका वेदमूथा, सीमा मरलेचा, लीना वेदमुथा, वरिष्ट सूरजमल बैंगानी, नीलेश सेमलानी, ललित कुमार, राममोहन त्रिपाठी आदि तथा विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएँ उपस्थित थे।