विजय दशमी पर्व के आयोजन

संस्थाएं

विजय दशमी पर्व के आयोजन

चंडीगढ़
विजयदशमी का त्योहार पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन जरूरत बाहर के रावण को मारने की नहीं, बल्कि मन के रावण को मारने की है, जो क्रोध, लालच, वासना का भरा हुआ है। भीतर के पुरुषोत्तम को जगाने का अनुष्ठान विजयदशमी है। यह शब्द मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने विजयदशमी के अवसर पर कहे।
मुनिश्री ने आगे कहा कि विजयदशमी सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रतीक है झूठ पर सच्चाई की जीत का, साहस का, निःस्वार्थ सहायता का और मित्रता का, बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है, इस बात को समझाने के लिए दशहरे के दिन रावण के प्रतीकात्मक रूप का दहन किया जाता है। मुनिश्री ने कहा कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जो हमें यह संदेश देता है कि बुराई कितनी भी बड़ी और ताकतवर क्यों न हो, मगर अच्छाई के सामने वह बहुत छोटी और कमजोर है।