नैतिक क्रांति के सूत्रधार थे आचार्यश्री तुलसी

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नैतिक क्रांति के सूत्रधार थे आचार्यश्री तुलसी

आचार्यश्री तुलसी के 109वें जन्मोत्सव के आयोजन

राजसमंद
साध्वी मंजुयशा जी के सान्निध्य में राजसमंद कारागृह में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी के 109वें जन्म दिवस को अणुव्रत दिवस के अंतर्गत ‘नशा मुक्ति’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। कारागृह में करीब 198 कैदियों के बीच साध्वीश्री जी ने कहा कि जीवन के दो पक्ष होते हैं। एक कृष्ण पक्ष यानी अंधकारमय जीवन एवं दूसरा शुक्ल पक्ष यानी उजाला भरा जीवन। मनुष्य के भीतर दो प्रकार की वृत्तियाँ होती हैं एक दानवीय वृत्ति और एक मानवीय वृत्ति। जब व्यक्ति में मानवीय वृत्ति होती है तो वह अपनी प्रेम, सौहार्द, अनाग्रह, उदारता, प्रामाणिकता, सत्यता आदि सद्गुणों से अच्छा जीवन जीकर वह परिवार, समाज एवं देश के लिए आधार स्तंभ बन जाते हैं, किंतु जिसके भीतर दानवीय वृत्ति जागृत होती है तो उसके कारण वह व्यक्ति हिंसा, लूटपाट, चोरी, आगजनी, हत्या आदि अपराधी-वृत्तियों को अपनाकर अपने जीवन को अंधकार की ओर ढकेल देता है।
साध्वीश्री जी ने प्रयोग बताते हुए कहा कि प्रेक्षाध्यान, अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्प के द्वारा दानवीय वृत्तियों से मानवीय वृत्ति में अपने जीवन को सरस आनंद एवं सुख शांतिमय बना सकता है। साध्वीश्री जी की प्रेरणा से कई भाइयों ने नशा न करने का संकल्प किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति, राजसमंद के राजकुमार दक, मदनलाल धोखा, जीतमल कच्छारा, शिक्षाविद् चतरसिंह कोठारी आदि कइयों ने अपने विचार रखते हुए अणुव्रत की जानकारी, उसके नियम, उसका महत्त्व आदि के बारे में बताया। अणुव्रत समिति की ओर से कारागृह के अधिकारीगण एवं सभी कैदी भाइयों को फल एवं मिठाई वितरित की। मंगलपाठ से कार्यक्रम संपन्न हुआ।