जैनों का प्रमुख पर्व है पर्युषण महापर्व

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जैनों का प्रमुख पर्व है पर्युषण महापर्व

फरीदाबाद।
डॉ0 साध्वी शुभप्रभा जी के सान्निध्य में नवाह्निक पर्युषण पर्वाराधना का कार्यक्रम आयोजित किया गया। पर्व शुभारंभ के दिन साध्वी शुभप्रभा जी ने कहा कि भारतीय परंपराओं में अनेक त्योहार, पर्व मनाए जाते हैं। जैनों का प्रमुख पर्व पर्युषण महापर्व है। यह महापर्व क्यों? नवकार मंत्र से पूर्व महा शब्द जुड़ा, भगवान महावीर के साथ भी वीर से पहले महा शब्द जुड़ा है। वैसे ही इस पर्व में महा शब्द जुड़ा है। यह पर्व आत्मशुद्धि का, चैतन्य जागरण का, चिकित्सा का, कार्यसिद्धि का, स्मृति-विस्मृति का, पौरुष जागरण का और जैन एकता का प्रमुख पर्व है।
पर्युषण पर्व के शुभारंभ पर हम अपने भीतर तलाशेंµदिन-भर में कितनी बार प्रतिक्रिया होती है, अपने आपका लेखा-जोखा तैयार करना है। पर्युषण के लिए कितनी तैयारी की है? इस पर्व पर अपना आत्मावलोकन करें कि आपकी दृष्टि अच्छाई पर ज्यादा केंद्रित है या बुराई पर। अपने भीतर ऐसा दीप जलाएँ जो अंधेरे में भी रोशनी दे सके। साध्वी कांतयशा जी ने गीत का संगान, साध्वी मंदारयशा जी ने भगवान ऋषभ की जीवनी, साध्वी अनन्यप्रभा जी ने खाद्य संयम पर विचार व्यक्त किए। प्राक् वक्तव्य के रूप में साध्वी कांतयशा जी ने ठाणां सूत्रानुसार 10 धर्मों पर विशद विवेचन किया। उन्होंने कहा कि हम सब चैतन्य की यात्रा में यात्रायित हैं। हम चाहते हैं ऐसा मनोभाव, ऐसी शक्ति जो आनंदमय हो। सामायिक अनुष्ठान इसी दिशा में बढ़ने का उपक्रम है। अभिनव सामायिक अनुष्ठान साध्वी कांतयशा जी ने करवाया। भगवान महावीर की जीवन-यात्रा में नयसार के भव में सम्यक्त्व का दीप जला।
संवत्सरी महापर्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए साध्वीश्री जी ने बताया कि संवत्सरी पर्व महाकुंभ है। पर्युषण महापर्व महास्नान का पर्व है, अलौकिक पर्व है, अहिंसा की आराधना का पर्व है, कषायों का उपशम करके आत्म जागृति लाने वाला पर्व है। साध्वी कांतयशा जी ने प्रतिदिन के विषय से संबद्ध गीत का संगान किया। साध्वी मंदारयशा जी ने तीर्थंकर ऋषभ, अजित, सुमतिनाथ पर प्रकाश डाला। साध्वी अनन्यप्रभा जी ने मूल विषय पर प्रस्तुति दी। रात्रि में प्रतिदिन विषयों से संबद्ध कार्यक्रमों में अच्छी उपस्थिति रही। रात्रिकालीन कार्यक्रम में बहादुर सिंह दुगड़, सभा मंत्री संजीव बैद, मंजु कोठारी आदि ने गीत का संगान किया।
क्षमापर्व के उपलक्ष्य में साध्वी शुभप्रभा जी ने कहा कि क्षमा कल्पवृक्ष है, जिसकी सघन छाँव में हर व्यक्ति मीठे फल प्राप्त करता है। क्षमा सुरक्षा कवच है। अतीत की भूलों से प्रेरणा प्राप्त कर भविष्य के सुनहरे सपनों को सजा जीवन की नई शुरुआत करें। साध्वी कांतयशा जी ने मैत्री गीत का संगान किया। सभाध्यक्ष गुलाब बैद, पूर्व अध्यक्ष रोशनलाल बोरड़, महिला मंडल अध्यक्ष सुमंगला बोरड़, टीपीएफ अध्यक्ष विजय नाहटा, तेयुप अध्यक्ष विवेक बैद, अणुव्रत समिति अध्यक्ष इंद्रचंद जैन, बहादुर सिंह दुगड़, चैनरूप तातेड़ ने क्षमायाचना की। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री संजीव बैद ने किया।