1008 एकासन का महा अनुष्ठान

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1008 एकासन का महा अनुष्ठान

गांधीनगर, बैंगलोर।
तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में मुनि अर्हत कुमार जी के सान्निध्य में पहली बार 1008 एकासन का महा अनुष्ठान का आयोजन हुआ। मुनि अर्हत कुमार जी ने कहा कि जीवन को सुनहरी भोर की स्वर्णिम किरण के समान निखारने के लिए उसमें नूतन आभा के साथ नई ऊर्जा का संचारक करने के लिए आत्मा के असली सौंदर्य को उजागर करने के लिए अनेक प्रकार के तपानुष्ठानों का सूत्र में वर्णन मिलता है। एकासन सामूहिक तप का एक प्रकार है। एकासन एक समय एक घंटे में होने वाला यह तप संयम की साधना का विलक्षण उपक्रम है।
सहयोगी संत मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि सामूहिक तप करने से सामूहिक कर्मों की निर्जरा होती है। निर्जरा होने से आत्मा सुख-शांति व आनंद को प्राप्त होती है। ऐसे अनुष्ठान समय-समय पर होने से बैंगलुरु में नई ऊर्जा प्राप्त होती है। बाल संत मुनि जयदीप कुमार जी ने उद्बोधन दिया। प्रेक्षा संगीत सुधा व सुधा जैन ने गीतों का संगान किया। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल दुगड़ ने स्वागत भाषण दिया। तेममं की अध्यक्षा स्वर्णमाला पोखरना ने एकासन करने वाले को धन्यवाद दिया। संगठन मंत्री धर्मेश कोठारी ने आभार ज्ञापन किया। अनुष्ठान को सफल बनाने में तेरापंथ सभा, महिला मंडल, तेयुप व श्रावक-श्राविकाओं का विशेष श्रम रहा। इस अवसर पर विशिष्ट जन, पदाधिकारीगण, कार्यकारिणी सदस्य एवं श्रावक समाज की उपस्थिति रही।