भक्तामर अनुष्ठान का आयोजन

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भक्तामर अनुष्ठान का आयोजन

राजाराजेश्वरी नगर, बैंगलोर।
शासनश्री साध्वी शिवमाला जी के सान्निध्य में भक्तामर स्तोत्र के सविधि जपानुष्ठान का आयोजन किया गया। साध्वीश्री जी ने कहा कि आचार्य मानतुंग ने लगभग 1300 वर्ष पूर्व सातवीं शताब्दी में वसंत तिलका छंद में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ जी की स्तुति करते हुए इस चमत्कारी स्तोत्र की रचना की। आचार्य मानतुंग को जब राजा भोज ने जेल में बंद करवा दिया था। उस जेल के 48 दरवाजे थे जिन पर 48 मजबूत ताले लगे हुए थे। तब आचार्य मानतुंग ने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा हर श्लोक की रचना पर ताला टूटता गया। इस तरह 48 श्लोकों पर 48 ताले टूट गए थे। तब से अनेकानेक लोगों ने इसके चमत्कार का अनेक बार साक्षात अनुभव किया। जपानुष्ठान में अच्छी संख्या में श्रावक समाज उपस्थित रहा। एक सुर में बड़े ही अनुशासनबद्ध रूप में समुपस्थित जन-समुदाय को एक अलौकिक आभामंडल की अनुभूति हुई।