जीवन सफल कियो

जीवन सफल कियो

 जीवन सफल कियो
अंतिम अनशन स्वीकार।। आं।।

जन्म हुआ चंदेरी भू पर, शुरू तुलसी से संयम लेकर
चमका बोकड़िया परिवार।

73 वर्षों का संयम जीवन, जागरूक रहते हर क्षण-क्षण
बहुत किया उपकार।

लंबी-लंबी यात्रा करके, गुरु इंगित आराधन करके,
निर्भीक रहे हर बार।

पापभीरूता, स्वाध्यायशीलता, अंतर्मुखता, जागरूकता
मधुर वचन सहकार।

मंगलीक तेरी थी वरदाई संकट कटते सबके सुखदाई
रहे आजीवन इकसार।

स्वाध्याय ध्यान में समय बिताया, गुरु निष्ठा का पाठ पढ़ाया
शिक्षा मिलती सुखकार।

प्रवचन शैली में आकर्षण, आगम आधारित आख्यापन
किया धर्म प्रचार।

कला कुशलता, सहज मधुरता, वत्सलता का निर्झर बहता
दौड़े आते नर-नार।

संस्कारों से घट को भरते, संघ सेवा के भाव जगाते
है भिक्षु शासन गुलजार।

38 वर्षों तक सन्निधि तेरी, क्या गुण गरिमा गाऊँ तेरी
भूल न पाऊँ उपकार।

गांधी की गुजरात भूमि पर, स्वर्ग पधारे हैं सतिवर
मुख-मुख जय-जयकार।

गुरु महाश्रमण थे खैवन हारे, अहमदाबाद के श्रावक सारे
सेवा में होशियार।

नतमस्तक हो शीश झुकाती, तेरी स्मृति पल-पल आती
‘हिम’ का यह उद्गार।

लय: तोता उड़ जाना---