मंत्र दीक्षा के  आयोजन

संस्थाएं

मंत्र दीक्षा के आयोजन

नोहर

मंत्र दीक्षा के कार्यक्रम में ‘नमस्कार महामंत्र की महिमा’ विषय पर बोलते हुए शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने उपस्थित श्रावक-श्रविकाओं, युवकों व बच्चों से कहामंत्र शास्त्र बहुत विशाल है। हर मंत्र का अपना अलग-अलग विधान होता है। विधिपूर्वक तन्मय होकर मंत्र का स्मरण किया जाता है तो वह निस्संदेह फल देता है। हर धर्म के अपने मंत्र होते हैं, जो अनुभवी ज्ञानी आचार्यों द्वारा निर्मित होते हैं। जैन ग्रंथों में भी अनेक मंत्रों का उल्लेख मिलता है, उन सभी मंत्रों में नमस्कार महामंत्र एक विशिष्ट व प्रभावशाली मंत्र है। इसकी महिमा बताते हुए आचार्य कहते हैं कि यह महामंत्र सब पापों का नाश करने वाला है और सभी मंगलों में श्रेष्ठ है।
नमस्कार महामंत्र के चमत्कारों की भी अनेक घटनाएँ हैं जो मंत्र की शक्‍ति और विशेषता को बताती हैं। मंत्र दीक्षा का कार्यक्रम है, भारतीय जीवनशैली में अनेक प्रकार के संस्कार समय-समय पर आते रहते हैं। महामंत्र का कवच पहनने के बाद व्यक्‍ति अपने जीवन में सदा सुरक्षा का अनुभव करता है। शासनश्री ने मंत्र दीक्षा देकर बच्चों को संस्कारी बने रहने के लिए कुछ संकल्प भी करवाए। कार्यक्रम का प्रारंभ परमेष्ठी वंदना व त्रिपदी वंदना से हुआ। आज से बच्चों की ज्ञानशाला का उपक्रम प्रारंभ कर दिया गया। मुनिश्री ने बच्चों को इसमें निरंतर भाग लेने की प्रेरणा दी।
तेयुप के अध्यक्ष नितेश जैन व मंत्री चंद्रेश सिपानी (चीनू) ने बच्चों को मंत्र दीक्षा की किट वितरित की गई। महिला मंडल की अध्यक्षा किरण देवी ने अच्छी प्रस्तुति के लिए बच्चों को पुरस्कृत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसीटीईओ रमेश सिहाग ने की। मुख्य अतिथि पूर्व नगरपालिका चेयरमैन श्रीराम व्यास थे। पंजाब नेशनल बैंक के सहायक कर्मचारी नीरज सिंगला भी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे। स्थानीय सभा द्वारा सभी को साहित्य के द्वारा सम्मानित किया गया।
आषाढ़ शुक्ला 13 को भिक्षु बोधि दिवस व जन्म दिवस मनाया गया। मुनिश्री ने स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डाला। अनेक भाई-बहनों ने गीत व भाषण के द्वारा अपने भावों की प्रस्तुति दी। मुनिश्री ने शक्‍ति जागरण अनुष्ठान का प्रारंभ करके आज के दिन की महत्ता को और अधिक बढ़ा दिया।इस अनुष्ठान में 135 व्यक्‍तियों ने मुनिश्री के पास अपना नामांकन करवाया। महामंत्र के बीजाक्षरों पर आधारित ओम0अ0सि0आ0उ0सा0 नम: मंत्र 108 दिन तक 11 माला फेरने का इसमें विधान रखा गया है। इसी के साथ कुछ त्याग-प्रत्याख्यान का पालन संभागीजनों के लिए तय किया हुआ है।