साध्वी धर्मयशा जी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार

साध्वी धर्मयशा जी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार

मेरी संसारपक्षीय भुआसा साध्वी धर्मयशाजी के उपकार को मैं कभी विस्मृत नहीं कर सकता। साध्वी परमयशा जी व साध्वी धर्मयशा जी की दीक्षा एक साथ हुई। दीक्षा के समय में लगभग 15 दिनों का अंतर था। मैं जब भी उनके सान्निध्य में रहता वे मुझे आध्यात्मिक संस्कार देने का प्रयास करतीं। उनका स्वास्थ्य कुछ कमजोर रहता था किंतु उनका मनोबल व तपोबल अच्छा था। वे कई वर्षों से एकांतर एकासन की साधना में संलीन थी। परमपूज्य गुरुदेव आचार्य महाश्रमण जी की कृपा से वे इस बार बीदासर समाधि केंद्र में प्रवास कर रही थीं। गुरुदेव की कृपा से वे इस बार स्वस्थ व प्रसन्न थीं। अचानक गिरने के कारण उन्हें शारीरिक चोट हुई, फिर वे कभी उठ नहीं पाईं और कुछ दिनों के पश्चात वे चिकित्सा करवाते हुए जयपुर में समसमाचारी में दिवंगत हो गई। उनके प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करता हूँ कि वे शीघ्रातिशीघ्र मोक्ष को प्राप्त करें।