श्रावक जीवन का सबसे बड़ा धन है बारह व्रत

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श्रावक जीवन का सबसे बड़ा धन है बारह व्रत

जयपुर
अभातेयुप के निर्देशन में तेयुप द्वारा बारह व्रत कार्यशाला का आयोजन भिक्षु साधना केंद्र में शासन गौरव बहुश्रुत साध्वी कनकश्री जी, अणुविभा जयपुर केंद्र में शासनश्री साध्वी धनश्री जी और तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी के सान्निध्य में किया गया तथा व्रत दीक्षा आयोजित की गई। जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने बारह व्रत के नियमों का पालन करने का संकल्प लिया।
कार्यशाला में साध्वीश्री ने बारह व्रतों की विवेचना करते हुए बताया कि श्रावक को सम्यक्त्व का ज्ञान होना चाहिए। क्योंकि सम्यक्त्व का ज्ञान होने पर ही व्यक्ति अपने स्वविवेक से छोटे-छोटे व्रतों का पालन करने की ओर अग्रसर होता है। व्यक्ति के द्वारा अपनी इच्छाओं को संयमित करना, श्रमण संस्कृति का मूलभूत अंग है। यदि हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में संतुलन आए तो हमें छोटे-छोटे व्रतों का संकल्प करना चाहिए। कार्यक्रम की संयोजना में मुख्य संयोजक गौतम बरड़िया, संयोजक के रूप में अणुविभा जयपुर केंद्र में सौरभ जैन, भिक्षु साधना केंद्र में चांदमल संकलेचा, तेरापंथ भवन में कुलदीप बैद सहित सभी कार्यकर्ताओं का श्रम उल्लेखनीय रहा।