महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप कर मुनि अजित कुमार जी  ने तेरापंथ धर्मसंघ में रचा नव कीर्तिमान

संस्थाएं

महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप कर मुनि अजित कुमार जी ने तेरापंथ धर्मसंघ में रचा नव कीर्तिमान

चेम्बूर, मुंबई
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि अजित कुमार जी ने तेरापंथ धर्मसंघ आचार्यश्री महाश्रमण जी के बरतारे में ‘महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप’ कर तपस्या के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। तपस्या के क्षेत्र में अनेक प्रकार की तपस्या कर धर्मसंघ में अपना नाम तपस्वी संतों की श्रेणी में लिखाया है। मुनिश्री ने बड़ी तपस्याओं में अब तक 1 से 15 तक के तपस्या की लड़ी, चार मासखमण, धर्मचक्र तप, कंठी तप, प्रतर तप, सिद्धि तप, लघुसर्वतोभद्र तप संपन्‍न कर लिए हैं।
परमपूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद एवं आगम मनीषी, बहुश्रुत प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी की निश्रा में 10 दिसंबर, 2020 को महासर्वतोभद्र तप मुंबई के एल्फिंस्टन में प्रारंभ किया जो 11 अगस्त, 2021 को चेम्बूर में संपन्‍न होगा। इस महासर्वतोभद्र तप में कुल 245 दिन का समय लगता है, जिसमें 196 दिन तपस्या एवं 49 दिन पारणे के होते हैं।
महादानी स्व0 मूलचंद सामसुखा एवं महादानी स्व0 साध्वी रूपमाला जी के पुत्र मुनि अजित कुमार जी का जन्म असम के बंगाईगाँव में 22 जुलाई, 1963 को हुआ। मुनि अजित कुमार जी की दीक्षा नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी द्वारा 16 अक्टूबर, 1978 को गंगाशहर में हुई। दीक्षा से पूर्व मात्र कक्षा 8 तक की पढ़ाई हुई थी परंतु शिक्षा में अपने लगाव के कारण मुनिश्री ने 1996 में बी0ए0 एवं 1998 में जैन दर्शन में एम0ए0 की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। वर्तमान में मुनि आगम मनीषी, बहुश्रुत परिषद के संयोजक प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी के सहवर्ती के रूप में चेम्बूर में विराज रहे हैं। मुनिश्री की इस तपस्या में मुनि जम्बूकुमार जी, मुनि अभिजीत कुमार जी, मुनि जागृत कुमार जी एवं मुनि सिद्धकुमार जी का भी विशेष सहयोग मिल रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अध्ययन, आगम, कविता, साहित्य रचना, वक्‍तृत्व कला, संगीत कला, सुघड़ अक्षर लेखन कला में मुनिश्री की विशेष रुचि रही है।
तेरापंथ धर्मसंघ में आपके परिवार से पाँच सदस्य साध्वी रूपमाला जी (माता), साध्वी अनुशासनाश्री जी (बहन), साध्वी कल्पमाला जी (भतीजी), मुनि श्रेयांस कुमार जी (भाई), मुनि ज्योतिर्मय कुमारजी (भतीजा) दीक्षित हैं।
तप संपन्‍नता के अद्वितीय अवसर पर संपूर्ण देश भर से चारित्रात्माओं एवं श्रावक-श्राविका समाज की तरफ से मुनिश्री की इस तपस्या पर शुभकामना संदेश प्राप्त हो रहे हैं।