भौतिक ही नहीं आध्यात्मिक व नैतिक विकास भी करे भारत: राष्ट्रसंत आचार्य महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

भौतिक ही नहीं आध्यात्मिक व नैतिक विकास भी करे भारत: राष्ट्रसंत आचार्य महाश्रमण

आचार्यश्री ने महासभा को धार्मिक-आध्यात्मिक विकास करने का दिया आशीष

तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन गुरु सन्निधि में प्रदान किए गए विभिन्न पुरस्कार

ताल छापर, 15 अगस्त, 2022
भारत का 76वां स्वतंत्रता दिवस। पूरा देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में चूरू जिले के छापर में वर्ष 2022 का चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में सोमवार प्रातः चतुर्मास प्रवास स्थल में चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-छापर के तत्त्वावधान में तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर आचार्यश्री ने लोगों को पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। तदुपरान्त मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने आजादी के 75वर्ष की सम्पन्नता के अवसर पर देशवासियों को पावन प्रेरणा प्रदान की। इस दौरान महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन भी प्रतिनिधियों को आचार्यश्री से पावन सम्बोध प्रदान हुआ। कार्यक्रम में महासभा द्वारा विभिन्न सेवा पुरस्कारों को भी प्रदान किया गया। इस अवसर पर पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री से उन्हें पावन आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में उपस्थित जनता व देशवासियों को अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत, राष्ट्रसंत युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्राधारित मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में नित्यता भी है और अनित्यता भी। सब कुछ दुनिया में नित्य नहीं है और अनित्य भी नहीं है। क्षण-क्षण परिवर्तन होता रहता है। पर्याय परिवर्तन होता रहता है, किंतु स्थिरता भी है। कोई स्थिर है, तो फिर उसमें परिर्वन हो सकेगा? स्थिर कुछ है ही नहीं तो परिवर्तन होगा किसके? तीन शब्द बताए गए हैंµउत्पाद, व्यय और ध्रौव्य। तत्त्व वह है जो उत्पन्न होता है, जिसमें विनाश भी होता है और तत्त्व वह जो ध्रुव, शाश्वत होता है। आत्मा शाश्वत है। प्रत्येक प्राणी की आत्मा अतीत काल में थी, आज भी है और आगे भी हमेशा रहेगी। आत्मा के असंख्य प्रदेश हैं, वे स्थिर हैं। आत्मा के टुकड़े नहीं किए जा सकते। यह आत्मा की स्थिरता है।


जीव कभी मनुष्य रूप में है, कभी देव, तिर्यंच या नारक के रूप में है, यो जीव में उसके पर्याय का परिवर्तन होता रहता है। इस तरह अस्थिर भाग में परिवर्तन होता है, स्थिर भाग में कोई परिवर्तन नहीं होता। जीव का अजीव बन जाए ये कभी नहीं हो सकता। कारण जीवत्व का अंश है, वह स्थिर है। हमारा मन स्थिर भी है और अस्थिर भी है। कितनी चंचलता हमारे मन में हो जाती है। आज 15 अगस्त है। 15 अगस्त, 1947 को देश को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी। यहां पर्याय के परिवर्तन की बात सिद्ध होती है कि आज भारत की आजादी का 75वां वर्ष पूर्ण हो गया और इसके साथ अमृत महोत्सव का कार्यक्रम भी जुड़ गया। हालांकि हम लोगों में शायद कितने लोग होंगे जिन्होंने देश को आजाद होते हुए देखा होगा। हमारे गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी ने वह वक्त देखा था। उन्होंने लोगों को असली आजादी अपनाओ की प्रेरणा दी। देश के नागरिकों व देश में भौतिक और आर्थिक विकास होना भी आवश्यक है, किन्तु उसके साथ आध्यात्मिकता और नैतिकता का भी विकास होता रहे, तो पूर्णता की बात हो सकती है।
भारत ऋषि प्रधान ही नहीं, ऋषि प्रधान देश भी है। भारत का मानों सौभाग्य है कि इस धरती पर कितने-कितने ऋषि-संत भ्रमण करते हैं। प्राचीन ग्रंथों से सुन्दर पाथेय प्राप्त हो सकता है। आजादी के 75 वर्ष की सम्पन्नता की बात है। इसमें पूर्वावलोकन भी किया जा सकता है। भारत निरंतर आध्यात्मिक, नैतिकता और सौहार्द की दिशा में आगे बढ़े। भारत लोकतांत्रिक प्रणाली वाला देश है। स्वतंत्रता तो एक उपलब्धि है। स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं, बल्कि अनुशासनबद्ध रहने का प्रयास होना चाहिए। राग, द्वेष, हिंसा, घृणा से बचाव हो और प्रमाणिकता, अहिंसा, संयम व नैतिकता का विकास हो।


आज तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन का अंतिम दिन है। महासभा खूब आध्यात्मिक-धार्मिक विकास करती रहे। क्षेत्रीय सभाएं भी अपने यहां तेरापंथ भवन में शनिवार की सामायिक आदि के माध्यम से निरंतर धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधियों को संचालित करते रहें। कार्यक्रम में स्वतंत्रता दिवस के संदर्भ में साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री की अष्टवर्षीय अहिंसा यात्रा पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण महासभा के पदाधिकारियों द्वारा पूज्यचरणों में किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान प्रियंका कोठारी आठ की, कंचन कोठारी 11 की, संदीप चोरड़िया ने 15 की, दीपक मरोठी ने 16 की तथा रितू देवी ने आचार्यश्री से 29 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।


तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन पुरस्कार प्रदान समारोह में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा आचार्य तुलसी समाज सेवा पुरस्कार वर्ष 2020-21 के लिए श्री भंवरलाल बैद व वर्ष 2021-22 डॉ0 राजेश कुण्डलिया को प्रदान किया गया। वहीं मूविंग पिक्सल के सीएमडी मनीष बरड़िया को तेरापंथ विशिष्ट प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के प्रशस्ति पत्र का वाचन क्रमशः महासभा के न्यासी हितेन्द्र मेहता व महासभा की उपाध्यक्ष सुमन नाहटा व महासभा के संगठन मंत्री प्रकाश डाकलिया ने किया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने पूज्यप्रवर के समक्ष अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीष प्रदान किया। मापन सत्र में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने श्रेष्ठ, उत्तम और विशिष्ट 11 सभाओं के नामों की घोषणा की और उन्हें आचार्यश्री के समक्ष पुरस्तुत भी किया गया। साथ ही सहयोगी सभाओं व महानुभावों को भी सम्मानित किया गया। महासभा के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि विश्रुतकुमारजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन महासभा के महामंत्री विनोद बैद ने किया।