चातुर्मास जागरण का समय है

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चातुर्मास जागरण का समय है

नोखा
चातुर्मास जागरण का समय है। व्यक्‍ति आलस्य, प्रमाद में व्यर्थ समय गँवा देता है। पाँच कारणों से जागरण होता है। शब्द द्वारा, स्पर्श द्वारा, भोजन के लिए, स्वप्न द्वारा, निद्रा का पूरा होना व्यक्‍ति जागता है। कर्म बंधन होते हैं। आठ कर्म शत्रु हैं उसे आध्यात्मिकता, धर्म से समाप्त करना है। यह उद्गार शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक चतुर्दशी पर प्रवचन में कहे।
साध्वी कुसुमप्रभा जी ने जीवन में संयम को अपनाने पर बल देते हुए खाने में, व्यवहार में, बोलने में, आसक्‍ति में संयम करना हितकर बताया।
बहनों द्वारा तीन दिन ‘ओम भिक्षु-जय भिक्षु’ का जाप सभा भवन में जारी रहा। महिला मंडल द्वारा गीतिका का संगान किया गया।