भक्तामर - ऋद्धि सिद्धियों का भंडार

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भक्तामर - ऋद्धि सिद्धियों का भंडार

भीलवाड़ा।
तेरापंथ भवन में डॉ0 साध्वी परमयशा जी के सान्निध्य में टीपीएफ के द्वारा भक्तामर कल्पवृक्ष अनुष्ठान ऋद्धि एवं मंत्र के द्वारा समायोजन हुआ। डॉ0 साध्वी परमयशाजी ने कहा कि जैन परंपरा में भक्तामर एक प्रभावशाली यंत्र मंत्र जाप का खजाना है। इस स्तोत्र से विघ्न-बाधाओं का निवारण होता है। जीवन में पुण्यों का जागरण होता है। अशुभ कर्म दूर होते हैं। शुभ कर्मों का अभ्युदय होता है। भक्तामर एक महाप्रभावक स्तोत्र है। भगवान ऋषभ पहले राजा थे, पहले भिक्षु थे, पहले याचक थे, पहले केवली थे। महाप्रभु का 14 लाख पूर्व का आयुष्य था। जिसमें 83 लाख पूर्व तक जिन्होंने राज्य का संचालन किया। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई। टीपीएफ गीत का संगान पूर्व अध्यक्ष निर्मल सुतरिया ने किया।
कार्यक्रम में राकेश सुतरिया, टीपीएफ अध्यक्ष ने स्वागत किया। तेरापंथ धर्मसंघ के सुप्रसिद्ध संगायक संजय भानावत एवं वनिता भानावत ने भक्तामर के श्लोकों को अपनी सुमधुर स्वर लहरियों के साथ संगान किया। 131 जोड़ों के द्वारा सामुहिक गीत की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम में साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन टीपीएफ के मंत्री अजय नौलखा ने किया। कार्यक्रम का आभार ज्ञापन टीपीएफ की सदस्य सोनल मारू ने किया।