‘सास-बहू के रिश्तों को दें नई परिभाषा’ कार्यशाला का आयोजन

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‘सास-बहू के रिश्तों को दें नई परिभाषा’ कार्यशाला का आयोजन

हैदराबाद।
तेममं के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में ‘सास बहू के रिश्तों को दें नई परिभाषा’ पर एक रोचक कार्यशाला साध्वी त्रिशला कुमारी जी के सान्निध्य में आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी कल्पयशा जी के लघु कायोत्सर्ग द्वारा हुई। साध्वी संप्रतिप्रभाजी ने एक कहानी के माध्यम से धर्म परिषद को समझाया कि छोटी सी बातों पर ही हम आक्रोश में आ जाते हैं। जिसका मूल कारण है असहिष्णुता, सेवा की अभावना और बड़ी उम्मीदें। साध्वी रश्मिप्रभाजी ने ने कहा कि कुंडली सास बहू की भी मिलानी चाहिए। उन्होंने पारिवारिक सौहार्द पर एक बहुत सुंदर गीत का गायन किया। मंडल की बहन हर्षा बैद एवं सहयोगी बहनों द्वारा सुंदर प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम में चंद्रा सुराणा, संतोष पींचा, चित्रा दुगड़, रंजीत, वर्षा बैद, मोनिका, अंजू रुनवाल एवं सुशीला मोदी आदि ने अपनी सास, बहू की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। अनीता गीडिया ने होने वाली बहू के लिए कविता वाचन किया। साध्वी कल्पयशा जी ने कहा कि सास बहू का रिश्ता बहुत खूबसूरत होता है। साध्वी त्रिशला कुमारी जी ने कहा कि पहले संयुक्त परिवार का जमाना था और आपस में अपनत्व, सौहार्द, समर्पण की भावना थी। उन्होंने कहा कि रिश्तों को जब प्रेम का सींचन मिलेगा तभी सास-बहू मेें प्रेम बढ़ेगा। दोनों में सुख-दुःख के प्रति संवेदना होनी चाहिए। अंत में साध्वीश्री के मंगलपाठ से कार्यक्रम का समापन हुआ। धर्मसभा में लगभग 150 लोगों की उपस्थिति रही। तपस्वी ऋषभ दुगड़, महक हीरावत की मंजु दुगड़ सुराज बाई दुगड़ द्वारा अनुमोदना की गई। संयोजिका अंजु बैंगाणी, सुशीला मोदी का सहयोग रहा।