आचार्य महाप्रज्ञ व विवेकानंद जैसा बन संस्कारों की सौरभ फैलाएँ किशोर: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

आचार्य महाप्रज्ञ व विवेकानंद जैसा बन संस्कारों की सौरभ फैलाएँ किशोर: आचार्यश्री महाश्रमण

17वें राष्ट्रीय किशोर मंडल अधिवेशन का सफल आयोजन

ताल छापर, 30 जुलाई, 2022
त्रिदिवसीय 17वाँ किशोर मंडल अधिवेशन अभातेयुप के तत्त्वावधान में कल 29 जुलाई को लाडनूं में शुरू हुआ। लगभग 700 से अधिक संभागी किशोर आज पूज्यप्रवर की सन्निधि में छापर आए। ज्योतिचरण आचार्यप्रवर ने अमृत देशना रूप में आशीर्वचन फरमाया कि मनुष्य के जीवन के शौर्य की अवस्था एक मानो विकास की संभावना वाली और ज्ञानार्जन की संभावना वाली अच्छी अवस्था होती है। अध्ययन के बाद वे अपने गार्हस्थ्य में भी गहराई से बैठने वाले बन सकते हैं। कोई-कोई अध्यात्म का रास्ता लेने वाले भी हो सकते हैं।
किशोरावस्था में अच्छे संस्कारों का सृजन-निर्माण हो जाए तो बहुत अच्छी बात जीवन के लिए और आत्मा के लिए हो सकती है। इतने किशोर धर्म के माहौल में बैठे हैं। अभी जो गीत प्रस्तुत किया गया-चर्या धारो रे। ऐसा गीत किशोरों द्वारा गाना अपने आपमें बड़ी बात है। तत्त्वज्ञान का गहरा गीत है। स्वाम वचन, दस दान की ढाल, जिन भाख्या पाप अठार गीत सिखे, गीत सीखकर इसका हार्द मुनि दिनेश कुमार जी ने संतों से समझना। ऐसे गीत किशोर गुनगुनाएँगे तो तत्त्व और धर्म की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण बात है। यह महत्त्वपूर्ण बात है कि अभातेयुप के तत्त्वावधान में किशोरों को आसरा मिल रहा है, विकास का, संस्कार ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। कुछ सुनेंगे, जानेंगे तो वो खुराक इनके दिमाग में काम करेगी। इनके संस्कारों-चिंतन को अच्छा रखने में बड़ा एक योगदान हो सकता है। स्कूली शिक्षा के साथ धर्म और अध्यात्म की शिक्षा, संस्कारों का सृजन ये काम भी इन किशोरों में होते रहें।
जैन दर्शन में भी 2-5 आगे बढ़ जाएँ, जैन दर्शन की गूढ़ बातों को आत्म सात करके फिर प्रतिपादित कर सके तो बहुत मुश्किल बात नहीं है। अच्छे वक्ता-प्रवक्ता बन जाएँ। देश-विदेश में काम कर सकते हैं। विवेकानंद जैसे बन सकते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ जैसे बन जाएँ। साथ में संस्कारों की सौरभ भी हो। ज्ञान का बड़ा महत्त्व है, ज्ञान के साथ सभ्यता, शालीनता, संस्कार साथ में आ जाएँ तो और अच्छी बात हो सकती है। अधिवेशन में इतने बच्चों का एकत्रित होना भी अच्छी बात है। बच्चों में अच्छे संस्कारों का विकास हो। चारों गीतिकाएँ कंठस्थ हो जाएँ। किशोरों में वर्षीतप होना अच्छी और बड़ी बात है।

धर्मसंघ के भविष्य हैं किशोर - साध्वीप्रमुखाश्री

साध्वीप्रमुखाश्री जी ने किशोरों को प्रेरणा प्रदान कराते हुए फरमाया कि जीवन को हम तीन भागों में विभाजित करते हैं-बचपन, युवावस्था व वृद्धावस्था का जीवन। बचपन और युवावस्था के मध्य का जीवन है-कैशौर्य-किशोर का जीवन। किशोर हमारे धर्मसंघ के भविष्य हैं। वर्तमान अच्छा होता है, तो भविष्य स्वतः अच्छा हो जाता है।
भविष्य को अच्छा बनाने के लिए छोटी-छोटी बातों का चिंतन करें। हम अपने जीवन का दिन का प्रारंभ कैसे करें? उस समय आपके विचार कैसे हैं, खानपान कैसा है। शारीरिक स्वास्थता का ध्यान रखें। सुबह उठते ही हमें अपने प्रभु को याद करना है। नमस्कार महामंत्र की स्मृति करें। इससे शक्ति का संचार होगा। इससे याद शक्ति और संकल्प बल का विकास होगा, निर्णय शक्ति का विकास करें। मोबाइल का उपयोग न करें। सोते समय अपने इष्ट आचार्य भिक्षु को याद करें, माला भी फेरें। मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने किशोरों को प्रेरणा प्रदान की।
अधिवेशन के मंचीय कार्यक्रम से पूर्व पूज्यप्रवर ने मुख्य प्रवचन में मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि आज से साधिक अठाईस हजार वर्ष पूर्व भगवान महावीर विराजमान थे हमारे इस भारतवर्ष में उनके बहुत से शिष्य ओर साध्वियाँ भी थीं। एक उनका अंतेवासी शिष्य था-रोह अणगार। वह बहुत भला साधु था। कषाय उसके पतले थे। विनीत था। वह भगवान महावीर के पास आकर खड़ा हो गया औ उसके मन में कुछ जिज्ञासा जागी, उसने भगवान से प्रश्न किए, भगवान ने उसके प्रश्नों के उत्तर भी दिए।


हमारे सामने अनेक किशोर बैठे हैं, जो कॉलेजों-स्कूलों में पढ़ने वाले हैं। इनको समय मिले तो जैन दर्शन को भी पढ़ने का प्रयास करें। आचार्य महाप्रज्ञ जी की पुस्तक जैन दर्शन-मनन और मिमांशा से अनेक जानकारियाँ प्राप्त हो सकती हैं। किशोरों में प्रतिभा हो सकती है। ये जैन दर्शन के सिद्धांतों को भी पढ़ने में समय लगाएँ। जैन दर्शन के कोई अच्छे जानकार इनमें निकाल सकते हैं। किशोर लक्ष्य बनाएँ तो जैन दर्शन के विद्वान-प्रवक्ता बन जाएँ। कहीं जाकर जैन दर्शन पर अंग्रेजी-हिंदी में भाषण भी दे सकते हैं।
कालूयोविलास का विवेचन करते हुए परम पावन ने फरमाया कि संघ प्रमुदित है कि पूज्य डालगणी ने संघ की आगामी व्यवस्था कर दी है। डालगणी सभी को शिक्षा फरमाते हैं कि भावि आचार्य अपने पूर्वाचार्यों का गौरव गण में बनाए रखें। स्वयं का आचार पालन में जागरूक रहें व गण के साधु-साध्वियों के आचार पालन में सहयोगी बने। आचार्य सारणा-वारणा में जागरूक रहे। निष्पक्ष रहे आदि कई शिक्षाएँ फरमा रहे हैं। साधु-साध्वियों को गाथाओं की बख्शीष दिला रहे हैं। मुनि मगनलालजी को विशेष बख्शीष करवाते हैं।


संवत्सरी का दिन सकुशल निकल जाता है। डालगणी पहले ही फरमा देते हैं कि भिक्षु चरमोत्सव का दिन मैं नहीं देखूँगा। भाद्रवा सुदी वारस को स्वास्थ्य अनुकूल नहीं रहता है। रात को संथारा पचक्खा दिया जाता है और रात्रि में ही महाप्रयाण हो जाता है। दूसरे दिन उनकी अंतिम संस्कार हो जाता है। मुगन मगन मनि कालूजी के पास आकर सविनय विनेदन करते हैं कि आप पट्ट पर विराजें। मुनि कालू कहते हैं कि पहले पत्र खोलो। मगन मुनि कहते हैं कि पत्र तो खुला जाएगा आप पाट विराजें। आचार्य कालू पाट पर विराज जाते हैं। पट्टोत्सव की तैयारियाँ हो रही हैं। पत्र कैसे प्रस्तुत होगा-आगे जैसा संभव होगा बताने का प्रयास होगा।
पूज्यप्रवर के प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या जी ने कहा कि नमस्कार महामंत्र है उसका तीसरा पद है-णमो आयरियाणं। यह गुरु पद कहलाता है। तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य गुरु होते हैं। आचार्य तारों में शरद् पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह संघ में शोभित होते हैं। आचार्य अर्हत् सिद्ध की वाणी का प्रचार करते हैं। अर्हत् की अनुपस्थिति में उनके शासन का संचालन करते हैं। आचार्यों को अनेक उपमाओं से उपमित किया गया है। आचार्य में छत्तीस गुण होते हैं।


अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा ने कहा कि युवा शक्ति और किशोर मंडल के लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि तेरापंथ धर्मसंघ जैसे गौरवशाली पंथ में हमें जन्म लेने का और उसके साथ आगे बढ़ने का अवसर मिला। इस नंदनवन के कुछ फूल आपके श्रीचरणों में उपस्थित हैं। देश-भर में तेयुप की 365 शाखाएँ हैं। उनके निर्देशन में किशोर मंडल की लगभग 140 शाखाएँ गठित हैं। किशोरों के धार्मिक, आध्यात्मिक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए तेयुप हमेशा तत्पर रहती है।
हमारे संघ और समाज की आने वाली भावी पीढ़ी ऐसे संस्कारों के साथ आगे बढ़ सके और अपना अच्छा जीवन जीकर अपने लक्ष्य को हासिल कर सके। इनको विविध कार्यक्रमों से आगे बढ़ने की ट्रेनिंग देते हैं। गुरुदेव आपके निर्देशानुसार जैन दर्शन के प्रवक्ता को आने वाले समय में तैयार करके आपश्री के सामने प्रस्तुत करने का संकल्प करते हैं। ये संस्कारों व धार्मिक आध्यात्मिक विकास कर सकें, ऐसा आशीर्वचन फरमाएँ।
किशोरों ने समूह रूप में चर्चा धारों रे गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। किशोर मंडल के राष्ट्रीय संयोजक विकास पितलिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि छोटी उम्र ढलने की होती है, जैसा ढालेंगे, ढल जाएँगे।