शासनश्री साध्वी कैलाशवती जी का देवलोकगमन

शासनश्री साध्वी कैलाशवती जी का देवलोकगमन

मुंबई।
शासनश्री साध्वी कैलाशवती जी का जन्म वि0सं0 1992 कार्तिक शुक्ला पंचमी ‘सिसाय हरियाणा’ अग्रवाल सिंगला परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम ताराचंद एवं माता लक्षिमदेवी जैन था।
आपने वि0सं0 2007, पारमार्थिक शिक्षण संस्था में प्रवेश, तीन वर्ष में तीन परीक्षाएँ दी एवं घर में पाँच कक्षा पास की।
आपने वि0सं0 2010 कार्तिक कृष्णादसम् जोधपुर में आचार्यश्री तुलसी के करकमलों से 18 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली।
27 वर्ष तक साध्वी रायकंवर जी के सिंघाड़े में रही, उसके बाद साध्वी क्षमाश्री जी (सरदारशहर) वालों के साथ 21 वर्ष रही। इस प्रकार एक ही सिंघाड़े में 48 वर्षों तक साधनारत रही।
अग्रगण्य: वि0सं0 2058 में क्षमाश्रीजी का हिसार में स्वर्गवास हो गया, तत्पश्चात् आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने (वि0सं0 2058) सन् 17 जनवरी, 2022 में अग्रगण्य बना दिया।
अलंकरण: वि0सं0 2074, माघ शुक्ला सप्तमी आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा सिलीगुड़ी में ‘शासनश्री’ अलंकरण प्रदान किया गया।
संघ में दीक्षित परिजन: मुनि मानस कुमार जी एवं साध्वी विद्याकंवर जी।
साधना: प्रतिवर्ष वर्षों तक सवा लाख भिक्षु का जाप और पाँच वर्षों से दो महीने में सवा लाख जाप करते, 6 महीने में साढ़े सात लाख जाप करते। लगभग प्रतिदिन 1000-1200 गाथा स्वाध्याय। एक घंटा का नवकार मंत्र जप। प्रतिदिन दो श्रुत सामायिक। दो घंटे मौन।
तपस्या: अठाई एक, चोला, तेला 31, बेला 37, उपवास 4236, एकाशन 66, दशपृत्याख्याण 2 बार।
विशेष प्रतिमास महीने में छह उपवास और प्रतिवर्ष एक तेला संवत्सरी पर। आपका संयम पर्याय 69 वर्ष का रहा।
यात्रा: राजस्थान मेवाड़, मारवाड़ थली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, मध्य प्रदेश, मेवाड़, गुजरात, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, छत्तीसगढ़, मुंबई, बिहार।
कंठस्थ ज्ञान: आगम तीन, पच्चीस बोल आदि तेरह थोकड़े, 21 आगम का वाचन किया।
कला: सिलाई, रंगाई आदि।
स्वयं के करकमलों से दीक्षा संथारे: साध्वी कैलाशवती जी ने अपने जीवन में लगभग सात संथारे करवाने का सौभाग्य प्राप्त किया और महातपस्वी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी की आज्ञा से ‘साध्वी सौम्यमूर्ति’ जी जो मुनि दिनेश कुमार जी का माता को दीक्षा देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सूरत महानगरी में एक साथ दो-दो संथारे करवाकर संघ प्रभावना में निमित्त बनी।
चौविहार संथारा: आपने नवी मुंबई चातुर्मास प्रवेश से एक दिन पूर्व 8 जुलाई, 2022 को प्रातः 3 बजकर नौ मिनट पर आचार्यश्री महाश्रमण जी की आज्ञा से साध्वी पंकजश्री जी ने संथारा करवाया और चढ़ते परिणामों से 6 बजकर 29 मिनट पर चौविहार संथारे का प्रत्याख्यान किया और आपने लगभग एक प्रहर (3-30 घंटे) संथारे में महाप्रयाण किया। आपको चौविहार अनशन लगभग 12 मिनट का आया।