अर्हम्

अर्हम्

समणी प्रतिभाप्रज्ञा

साध्वीप्रमुखाश्री जी विश्रुतविभाजी का जीवन प्रारब्ध और पुरुषार्थ का अद्भुत संगम है। जिन्होंने संकल्प शक्ति के माध्यम से अनछुए क्षितिज हुए हैं। जिन्होंने आत्म विकास, ज्ञान विकास और संघ सेवा के लिए जीवन के समस्त लम्हों को बखूबी से समर्पित किया है। जिन्होंने तीन-तीन आचार्यों की कृपा से कर्तृत्व के अनमोल अवसर प्राप्त कर अपने व्यक्तित्व को प्रभावित बनाया। समण श्रेणी की पहली किरण बन, प्रथम नियोजिका के रूप में श्रेणी को अनुशासन का पथ प्रदर्शित किया। यह समण श्रेणी जिनकी निर्माण भूमि और कर्तृत्व भूमि बनी वहीं से उत्तरोत्तर प्रकाशपुंज की दिशा में प्रवर्धमान रहते हुए श्रेणी आरोहण कर साध्वी विश्रुतविभा अभिधान को सार्थक किया है। पूज्य गुरुदेव श्री महाप्रज्ञ जी की कृति, मुख्य नियोजिका पद से शोभित विशिष्ट साधिका साध्वी विश्रुतविभाजी को वर्तमान अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने उन्हें नमव साध्वीप्रमुखा पद पर नियुक्त कर धर्मसंघ को विशिष्ट सौगात प्रदान की है। पूरा साध्वी, समणी और नारी समाज उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर आध्यात्मिक आरोहण करेगा, इसी मंगल संकल्प के साथ।