अर्हम्

अर्हम्

समणी करुणाप्रज्ञा

बूँद से समंदर, लघु से विराट, अणु से विभु तथा तलहटी से शिखर की यात्रा वही व्यक्ति कर सकता है। जिसके भीतर साधना, शक्ति व क्षमता के प्रस्फोटन का विशेष Power होता है। साध्वी शिरोमणी साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी का व्यक्तित्व Power शब्द से अनुप्राणित है। मुमुक्षु सरिता से साध्वीप्रमुखा तक की यात्रा में यात्रायित आपश्री में-
P - Patience : बिना पैशन्स कोई भी व्यक्ति महानता का वरण नहीं कर सकता। धैर्य से ही व्यक्ति के नेतृत्व कौशल में निखार आता है। परमपूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के महाप्रयाण के समय तथा जीवन में आने वाली अनेक परिस्थितियों में आपश्री का धृतिबल गजब का था। कहा जाता है-‘धीरा सो गंभीरा’ जो धीर होता है वह गंभीर होता है।
O - Open Mind : खुला दिमाग। आप स्वयं Open Mind की पराकाष्ठा है तथा दूसरों को भी यही प्रेरणा देती हैं। एरोप्लेन जैसे-जैसे ऊँचाइयों की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे मानव, पेड़-पौधे और मकान आदि छोटे नजर आने लगते हैं या दिखाई नहीं देते। वैसे ही साधना की ऊँचाइयों को प्राप्त करने वाला साधक छोटी-छोटी बातों में उलझता नहीं।
W - Wisdom : दो प्रकार की प्रतिभा होती है-(1) पानी में फैली धृत बिंदु के समान संकोचशील। (2) पानी में फैली तैलबिंदु की तरह प्रसरणशील। ज्ञान की दीपशिखा साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी की प्रतिभा पानी में फैली तैलबिंदु के समान प्रसरणशील है। आपश्री का ज्ञान ैStreet Light की तरह हर किसी के लिए उपयोगी बनता है। महाप्रज्ञ वाङ्मय, आगम संपादन, महाप्रज्ञ प्रबोध आदि का सृजन हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत, राजस्थानी आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान तथा प्रभावी वक्तृत्व शैली इसका प्रमाण है।
E - Enhanced talerance power : आपश्री के भीतर उत्कृष्ट कोटि का सहनशीलता रूपी ‘होर्स पावर’ है। जिस गाड़ी में जितना अधिक होर्स पावर है वह उतना अधिक भार उठा पाती है। कम होर्स पावर हो जिस गाड़ी में उसमें भार उठाने की क्षमता कम होती है। आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपनी पैनी दृष्टि से आपके भीतर रहे सहनशीलता रूपी होर्स पावर’ को पहचानकर इतने साध्वीश्री जी, समणीजी तथा मुमुक्षु बहनों की सार-संभाल, व्यवस्था का भार आपश्री के कंधों पर डाला।
R - Research for New : आपश्री की दृष्टि कुछ न कुछ नया ढूँढ़ने में लगी रहती है। कहा जाता है-‘हंस तो मोती चुगे’ अनेक बालूकणों में हंस मोती को, मेग्नेट, लोहकणों को ही ग्रहण करता है, वैसे ही आपश्री की सूक्ष्म दृष्टि ज्ञान के नवीन मुक्ताओं को चुगती है।
इसी Super power से युक्त आपश्री का व्यक्तित्व होने के कारण आज आप तेरापंथ धर्मसंघ की साध्वी समाज की शिरोमणी बनी। आज हम अंतःकरण से आपश्री का वर्धापन करते हैं।
‘मौन व मुखर प्रेरणा का निर्झर हर पल बहता रहे।
तब छत्र छाँव का दिव्य शकून सतत हमें मिलता रहे।।