अर्हम्

अर्हम्

समणी नियोजिका अमलप्रज्ञा

विश्वास एक छोटा सा शब्द है जिसे बोलने में एक सैकंड लगता है, लिखने में दो सैकंड, समझने में कुछ दिन लग सकते हैं, किंतु उसे साबित करने में पूरा जीवन लग जाता है। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी ने अपनी उत्कृष्ट सेवा, श्रद्धा व समर्पण से तीन-तीन गुरुओं का विश्वास जीता। उसी विश्वास का परिणाम है कि आज आप साध्वी समाज के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं। आप समण श्रेणी से जन्म से ही जुड़ी हुई हैं। आपने पग-पग पर हमें संस्कार दिए, हमारी सारणा-वारणा की है। समण श्रेणी आपकी हमेशा ऋणी रहेगी। आज पूरे समण श्रेणी की ओर से शुभकामना व मंगलकामना करती हूँ, आशा करती हूँ कि हम भी आपके जीवन से कुछ प्रेरणा लें, अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहें।