अर्हम्

अर्हम्

समणी भावितप्रज्ञा

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरुदेव को भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए कहा थाµमैंने जो कुछ पाया है, मेरे शब्दों, विचारों या क्रियाओं से दुनिया के किसी व्यक्ति को कुछ भी सहयोग उपलब्ध हुआ है, उसका सारा श्रेय मेरे महाप्रभु को है। आज मैं जो कुछ बन पाई हूँ, उसमें आपका बड़ा रोल है। मैं आपका उपकार जीवन भर नहीं भूल पाऊँगी। आपश्री की जब साध्वीप्रमुखा पद पर नियुक्ति हुई, तब मुझे अत्यधिक प्रसन्न्ता व उल्लास का अनुभव हुआ। आपश्री के प्रति यह मंगलकामना करती हूँ कि आप निरामय एवं स्वस्थ रहें और हम सबका दीर्घकाल पर्यन्त नेतृत्व करती रहें।