अर्हम्

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समणी कुसुमप्रज्ञा

वर्धापना के पावन अवसर पर मैं अपनी सहपाठिनी की अभिवंदना करूँ या सहदीक्षित की, प्रथम बार विदेश यात्रा करने वाले व्यक्तित्व के कर्तृत्व को उजागर करूँ या समण श्रेणी की प्रथम नियोजिका जी की अभ्यर्थना करूँ साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी के अनेक रूप मेरे सामने हैं। लाडनूं के मोदी परिवार में जन्मी 13 भाई-बहनों एवं माता की दुलारी बहन सविता ने उत्कृष्ट वैराग्य से संस्था में प्रवेश किया। अप्रमत्त और स्वाध्यायप्रिय मुमुक्षु के रूप में उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई। छह साल मुमुक्षु जीवन में गहन अध्ययन करने पर मुमुक्षु जीवन में ही पूज्यवरों ने अनेक मुमुक्षु बहनों के साथ उनको भी आगमकोश के कार्य में नियुक्त कर दिया।
प्रथम बार विलक्षण दीक्षा में दीक्षित होने वाली छह बहनों में आपने अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखाया। 12 साल समण साधना के काल में आपने नेतृत्व की अनेक सीढ़ियों पर सफल आरोहण किया। पूज्यवरों की कृपा से श्रेणी आरोहण करके समणी स्मितप्रज्ञा जी साध्वी विश्रुतविभा बन गई। दीक्षित होने के कुछ समय पश्चात ही आचार्य महाप्रज्ञ जी के पास आगम कार्य करने का आपको परम सौभाग्य मिला। आचार्य महाप्रज्ञ जी की पारखी नजरों ने आपकी क्षमता को पहचानकर चाड़वास मर्यादा महोत्सव पर साध्वियों की अंतरंग व्यवस्था से जोड़ दिया। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने मुख्य नियोजिका पद से अलंकृत करके आपको साध्वियों में दूसरे स्थान पर प्रतिष्ठित कर दिया।
2022 के सरदारशहर प्रवास में आचार्यश्री ने आपको प्रमुखा के पद पर अभिषिक्त कर दिया। गुरु की अनहद कृपा प्राप्त करके उन्होंने अपनी क्षमता का अनेक क्षेत्रों में उपयोग किया। आगम कार्य, महाप्रज्ञ वाङ्मय का संपादन तथा आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तकों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद आदि। इन सबके साथ आपका खाद्य संयम, तप और जप की चेतना भी बहुत प्रशस्त और प्रशंसनीय है। ऐसी बहुमुखी प्रतिमा की धनी साध्वीप्रमुखा जी को मेरा भावभरा कोटिशः नमन।