अर्हम्

अर्हम्

अर्हम्

साध्वी प्रतिभाश्री

मनोनयन साध्वीप्रमुखा का बन संघ खुशहाल।
गण प्रांगण में आज देखो सुरभित चले बयार।
पौर-पौर में पुलकन, स्वर्णिम भोर नूतन।।

युग प्रधान महाश्रमण जी नव इतिहास रचाया।
साध्वीप्रमुखा नवमी पाकर जन-जन हरसाया।
दशों दिशाएँ मोद मनाएँ, स्वागत में नव थाल सजाएँ।
गाएँ मंगलाचार।।

साधना विशिष्ट तेरी, प्रेरणामय जीवन।
गुण सुमनों से महका तेरापंथ गुलशन।
महाप्रज्ञ की अनुपम कृति का अभिनंदन शत बार।।
समणी से श्रमणी महा हीरकमणि मन भाए
सावी शिरोमणी पा तुम सी भाग्य सराए।
अर्चा की ले नई ऋचाएँ, संघमणी को आज बधाएँ।
खुशियाँ बे अंदाज।।

भैक्षवगण की, महिमा निराली।
महाश्रमण गुरुवर की साध्वीगण आभारी।
मंगलमय हो सदा संघ में जय विजय हो गण उपवन में।
महाश्रमण रिछपाल।।

लय: स्वर्ग से सुंदर---