चातुर्मासिक चतुर्दशी एवं आचार्य भिक्षु जन्म दिवस-बोधि दिवस

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चातुर्मासिक चतुर्दशी एवं आचार्य भिक्षु जन्म दिवस-बोधि दिवस

रोहिणी, दिल्ली।
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 कुंदनरेखाजी के सान्निध्य में चातुर्मासिक चतुर्दशी एवं आचार्य भिक्षु जन्म दिवस के उपलक्ष्य में संयुक्त कार्यक्रम मनाया गया। हाजरी के वाचन के पश्चात साध्वी कुंदनरेखाजी ने कहा कि चातुर्मासिक चतुर्दशी का तिथि के रूप में तो महत्त्व है ही, उसके अतिरिक्त चार मास अध्यात्म चेतना से युक्त बिताने का भी यह दिन आह्वान करता है। साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म एवं बोधि किसी व्यक्ति की नहीं बल्कि अध्यात्म की शक्ति युक्त विचारों का है। आचार्य भिक्षु के दृढ़-संकल्प चेतना ने संयम का मार्ग चुना। संयम से समता के पथ पर आगे बढ़ने हेतु जैन आगमों का तलस्पर्शी ज्ञान प्राप्त किया।
सत्य का बल उनका साथी था, जिसने हर पल साथ निभाया और दुनिया को आचार्य भिक्षु के चरणों की दीवानी बना दिया। ऐसे क्रांतिकारी आचार्य भिक्षु को शत-शत नमन्, जिन्होंने तेरापंथ संघ में अध्यात्म को शिखर पर आरोहण करने का मार्ग प्रशस्त किया। साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु अलबेले थे, बुद्धि और विवेक के भंडार थे। आगमवाणी के मर्मज्ञ थे। जिनशासन के प्रति उनका समर्पण, श्रद्धा बेजोड़ थी। साध्वी कर्तव्ययशा जी ने कहा कि आद्यप्रणेता आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ संघ को विश्व के सम्मुख देकर जन उपकार किया है। जिन्होंने मर्यादा और अनुशासन का आधार दिया।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा, रोहिणी के महामंत्री राजेंद्र सिंघी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जीवन-दर्शन, संयम, समता, सहनशीलता एवं श्रम की पराकाष्ठा है, जिन्हें पढ़कर आत्मसात करें अपेक्षित है। राजू देवी राखेचा ने गीत का संगान किया। युवती मंडल ने सामुहिक गीत के द्वारा स्वामी जी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। भिक्षु अष्टकम् द्वारा मंगलाचरण किया गया। साध्वी कल्याणयशा जी ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। तेयुप, दिल्ली द्वारा धम्म जागरण का वृहदतम आगाज किया गया, जिसमें दिल्ली के गायकों ने भाग लिया।