हर पल मंगलमय हो...

हर पल मंगलमय हो...

समणी ऋजुप्रज्ञा
जिस तरह बीज के पल्लवन में धूप, हवा, खाद पानी सभी का योगदान होता है, उसी तरह व्यक्ति के निर्माण में अनेक हाथों का योगदान होता है। मेरे जीवन निर्माण में भी अनेक हाथों का योगदान रहा है, उनमें एक महत्त्वपूर्ण हाथ है-साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी का। आपने गुरुत्रय की अनुत्तर सन्निधि में अनेक नए इतिहास रचे हैं और साधना के नित नए आयाम उद्घाटित किए हैं। आपने समण श्रेणी और साध्वी श्रेणी की सार-संभाल कर अनेकों को समाधिस्थ करने का सार्थक प्रयास किया है। आपकी संघ निष्ठा, गुरु निष्ठा, तपोनिष्ठा, श्रमनिष्ठा, आचार निष्ठा और अप्रत्त जीवनशैली हम सबके लिए प्रेरणा और आदर्श है। मैं यही मंगलकामना करती हूँ कि आपका वरदहस्त हम पर सदा बना रहे। आचार्य महाश्रमण जी की छत्रछाया में आपका हर दिन, हर पल मंगलमय हो। आप स्वस्थ और आत्मस्थ रहते हुए हम सबकी चिरकाल तक सारणा-वारणा करवाते रहें और श्रमणी गण के विकास का नव इतिहास रचाते रहें।