प्रकृति की पाठशाला में शक्ति का सम्यक् नियोजन करें

प्रकृति की पाठशाला में शक्ति का सम्यक् नियोजन करें

समणी निर्मलप्रज्ञा
तेरापंथ धर्मसंघ की नवम साध्वीप्रमुखाश्री के रूप में साध्वी विश्रुतविभाजी का मनोनयन परमपूज्य गुरुदेव श्री महाश्रमण जी ने किया। गुरु का पथदर्शन पग-पग मंगलकारी होता है। भावनात्मक नवनिर्माण का लक्ष्य गुरुदेव के महान चिंतन का परिणाम था। शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री की अमूल्य सेवाओं के प्रति संपूर्ण साध्वी समाज ऋणी रहेगा। साध्वी समाज की भाव-संवेदनाओं को आचार्य प्रवर तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम होता है-साध्वीप्रमुखा का मनोनयन महापराकर्मी, पुण्यात्मा आचार्यश्री महाश्रमण जी की दिव्यदृष्टि ने नवीन साध्वीप्रमुखा देकर संघ में नयी शक्ति का संचार किया।
तप और तितिक्षा से भावित साध्वीप्रमुखाश्री का जीवन एक आदर्शरूप है। 1984 में समण दीक्षा में दीक्षित होने के बाद आचार्यश्री तुलसी ने मुझे आपके पास ही सौंपा यह मेरा भाग्योदय था। प्रारंभ से ही आपने मेरे जीवन का निर्माण किया, विवेक और वैराग्य के संस्कारों से मुझे साधना के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की सेवा का साक्षात् अवसर आपके साथ प्राप्त हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वीप्रमुखाश्री के मनोनयन का दृश्य प्रथम बार देखने के हम साक्षी बने, आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पंचामृत से मनभावन दृश्य प्रस्तुत किया। गुरुदेव की दिव्य वाणी सुनकर आनंद से सारा संघ पुलकित हो उठा। आचार्य का अनुग्रह आपकी तप-त्याग की शक्ति एवं चित्त शुद्धि को वर्धमान बना रहा है। गुरु द्वारा प्रदत्त प्रोटीन एवं विटामिन आपको सर्वशक्तिमान बनाएगा।
नए-नए तौर-तरीके के साथ आप हम सभी को आध्यात्मिक विद्या में निष्णात बनाएँ यही मंगलभावना व्यक्त करती हूँ। साध्वी-समणी समाज की मनोभूमि के अनुरूप उन्हें प्रकृति की पाठशाला में व्यावहारिक प्रशिक्षण की श्री उपलब्धि हो, यही अपेक्षा की जा रही है। आपका कार्यक्रम मंगलमय बने।