स्वस्थ हो जीवनशैली विषय पर जीवन प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन

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स्वस्थ हो जीवनशैली विषय पर जीवन प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन

राघवेंद्र कॉलोनी
साध्वी निर्वाणश्री जी के सान्‍निध्य में लक्ष्मीपत कुंडलिया के निवास पर जीवन प्रबंधन कार्यशाला समायोजित हुई। तेयुप, हैदराबाद द्वारा आयोजित कार्यशाला के संभागियों को संबोधित करते हुए साध्वी निर्वाणश्री जी ने कहा कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए मन का अनुशासन, वचनानुशासन एवं काया का अनुशासन अत्यंत अपेक्षित है। सबसे पहली अपेक्षा है हम अपने शरीर को सुद‍ृढ़ बनाएँ। वाणी शक्‍ति का आधार है। हम जितनी अपनी वाणी को संयमित करते हैं उतनी शक्‍तियाँ बढ़ती हैं।
कार्यशाला की मुख्य वक्‍ता साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए मुख्य घटक तत्त्व हैंआहार शुद्धि, व्यवहार शुद्धि, आचार शुद्धि एवं विचार शुद्धि। जीवनशैली को सँवारने के लिए सबसे प्रथम आहार की शुद्धि पर ध्यान दें। जैसा आहार वैसा न्यूरोट्रांसमीटर, जैसा न्यूरोट्रांसमीटर वैसा हमारा व्यवहार होगा। जीवन का यह पूरा चैनल है आहार, विचार, व्यवहार एवं आचार।
कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के सामुहिक जाप से हुआ। राघवेंद्र कॉलोनी की बहनेंसुषमा कुंडलिया, संगीता बरड़िया, पिंकी सुराणा व सोनू बोथरा ने मंगल गीत का संगान किया। कॉलोनी की ओर से कार्यकर्ता राकेश कुंडलिया ने साध्वीश्री जी का भावभरा स्वागत किया। तेयुप अध्यक्ष राहुल श्यामसुखा, आगापूरा तेरापंथ परिवार के अध्यक्ष लक्ष्मीपत डूंगरवाल, प्रबुद्ध चिंतक विजयराज आंचलिया, विशेष वक्‍ता विनोद डागा आदि ने अपने भावों की अभिव्यक्‍ति दी। साध्वी कुंदनयशा जी एवं साध्वी मधुरप्रभा जी ने प्रेरणा गीत का संगान किया। तेयुप के सहमंत्री प्रमोद भंडारी ने आभार ज्ञापन किया। मंच संचालन साध्वी लावण्यप्रभा जी ने किया। कार्यशाला में भाई-बहनों ने अच्छी संख्या में उपस्थित होकर उसे सफल बनाया।
‘हाउ टु इन्क्रिज मेमोरी पावर टु कंसन्ट्रेशन पावर’ विषय पर प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में सफलता व एकाग्रता वृद्धि हेतु एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने उन्हें अनेक उपयोगी टिप्स देते हुए विशेष प्रेरणा प्रदान की। शनिवारीय सामायिक व विशेष प्रवचन आयोजित हुआ। राघवेंद्र कॉलोनी (शिवरामपल्ली) में रतनलाल बरड़िया व विकास सुराणा के आवास पर यह कार्यक्रम रहा। साध्वी निर्वाणश्री जी के प्रेरणा उद्बोधन से सभी प्रभावित हुए। साध्वी लावण्यप्रभा जी ने गीत, साध्वी कुंदनयशा जी ने कहानी, साध्वी मुदितप्रभा जी ने व साध्वी मधुरप्रभा जी ने गीत आदि की प्रस्तुति दी।